चुनाव ने तल्ख किये रिश्ते ससुर ने दामाद से लिया मोर्चा 

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The father-in-law's relationship with the son-in-law took place in the election

अवधनामा संवाददाता

हालांकि प्रधानी कर चुका दामाद भारी पडा ससुर को हराया

बाराबंकी। (Barabanki)  ग्राम प्रधान बनने की ललक ने रिश्तों को न सिर्फ हद दर्जे तक प्रभावित किया है बल्कि गहरे से गहरे संबंध और तल्ख हुये हैं। पांच साल की रंजिश तो चुनाव के साथ लिपट कर आती है। ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला जिले के एक गांव में जहां प्रधानी के चुनाव ने ससुर को दामाद के खिलाफ मैदान में उतरने को मजबूर कर दिया। हालांकि दामाद गांव की राजनीति में ससुर से कई कदम आगे निकला और विजय हासिल कर एक तरह से ससुर के वजूद को चुनौती दे दी।
रिश्ते नाते प्यार वफा सब बातें हैं बातों का क्या…. उपकार फिल्म का यह गाना पंचायत चुनाव पर बिल्कुल फिट बैठता है क्योंकि यह चुनाव तात्कालिक रूप से रिश्तों में दरार डालने का काम करता है। एक बेजोड़ घर में फूट डालने के लिये पंचायत खासकर ग्राम प्रधान का चुनाव काफी है।इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हाल ही सम्पन हुए पंचायत चुनाव में देखने को मिले हैं। हुआ यह कि बाराबंकी जिले के विकास खण्ड रामनगर के तराई क्षेत्र स्थित ग्राम पंचायत तपेसिपाह में ग्राम प्रधान पद का चुनाव होना था। इस चुनाव में गांव की राजनीति ने ऐसी करवट ली कि गांव की परधानी कर फिर चुनाव लड़ रहे सुशील कुमार के खिलाफ ससुर मनीराम यादव ने ही मोर्चा खोल दिया। वोट अपने पक्ष में करने की कवायद मतदान के दिन पूरी हुई। इसके बाद सबकी नजर मतगणना पर जा टिकी। आखिरकार रिश्तों को मिली चुनौती का हस्र भी तो देखना था। मतगणना के परिणाम भी दामाद सुशील कुमार के ही पक्ष में आये और ससुर मनीराम को 201 मतों से हरा कर जीत का सेहरा भी अपने सर बांधा। इस ग्राम पंचायत तपेसिपाह में चार प्रत्याशी मनीराम यादव इनके दामाद सुशील कुमार, महेंद्र, राकेश चुनाव मैदान उतरे थे। ससुर का अपने दामाद के खिलाफ चुनाव लड़ना न केवल चर्चा का विषय बना हुआ है। बल्कि सुशील की जीत के बाद लोग चुनाव के चक्कर में धराशायी होते रिश्तों को लेकर भी हैरत में हैं।
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