ष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच की आवश्यक बैठक राजधानी के दारुलसफा में राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर सिंह “पुष्कर” की अध्यक्षता में आहूत की गई

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राष्ट्रवादी युवा अधिकार मंच की आवश्यक बैठक राजधानी के दारुलसफा में राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर सिंह “पुष्कर” की अध्यक्षता में आहूत की गई ।जिसमें किसानों द्वारा काले कृषि कानून को वापस करने की मांग का समर्थन करते हुए एक मत से अन्नदाता किसानों के हक में लामबंद होने तथा किसानों की विभिन्न बुनियादी समस्याओं पर विस्तृत चर्चा की गई ।संगठन अपने” जय- जवान जय -किसान सत्याग्रह” के माध्यम से किसानों की बुनियादी समस्याओं के समाधान जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदारी एवं बिचौलियों से छुटकारा पाने के लिए किसानों के खाते में भुगतान तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून में शामिल करने एमएसपी और एमआरपी निर्धारित होने के बाद एमआरपी बढ़ोतरी पर किसान को लाभांश का 25% दिए जाने मंडी समितियों /संस्थाओं द्वारा एमएसपी पर खरीद न करने पर कड़े कानून ,कृषि को उद्योग का दर्जा ,राष्ट्रीय किसान आयोग ,न्यूनतम दर पर किसानों को बिजली,खाद,पानी ,लघु /सीमांत किसान जिनके ऊपर 100000 तक का कर्ज हो उनके विरुद्ध नियम शिथिल कर पूजीपतियों से कर्ज वसूली हेतु कड़े कानून तथा कृषि कार्य के दौरान दुर्घटना पर ₹500000 तत्काल दिए जाने जैसे मुद्दों पर महामहिम राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक को मांग पत्र दिया जा चुका है ।संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शशांक शेखर सिंह “पुष्कर “ने कहा कि वर्तमान केंद्र की सरकार को अहंकार त्याग कर अन्नदाता के हित में काले कानून को वापस लेते हुए किसानों से माफी मांगनी चाहिए बजाय सरकार के मंत्री किसानों को आतंकवादी जैसे शब्दों का प्रयोग कर अपमानित कर रहे हैं ।देश का अन्नदाता बिना किसी राजनैतिक संरक्षण के अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर है ।किसी भी राजनीतिक दल ने किसानों की बुनियादी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया है, केंद्र सरकार अपने उद्योग पतियों के चंगुल में बुरी तरह फंस चुकी है निजीकरण जैसे गलत फैसलों से बिचौलिया ही पनप रहे जबकि केंद्र सरकार बिचौलिया खत्म करने की बात कर रही है ,लिहाजा सरकार आंदोलनरत किसानों की मांग एवं संगठन के सुझाव को यदि अमल में लाती है तो यह देश व किसान हित में बेहतर साबित होगा अन्यथा इस काले कानून के लिए देश का अन्नदाता किसान क्रांति व पूंजीवादी व्यवस्था के विरुद्ध लामबंद होने को मजबूर होगा।

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