फेल हुई केंद्र सरकार की स्कीम मनरेगा, शहरों की तरफ पलायन को मजबूर हैं ग्रामीण अंचल के मजदूर

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ग्रामीण अंचल के मजदूरों को रोजगार सृजन के मामले में केंद्र सरकार की योजना मनरेगा पूरी तरह फेल है। मनरेगा की मजदूरी मार्केट रेट से काफी कम होने के कारण मजदूर दिहाड़ी के लिए शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं।

मानदेय का भुगतान हर महीने न होने से मनरेगा कार्मिक भी काम छोड़ रहे हैं।भादर के ए पी ओ ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है।

जिले में 682ग्राम पंचायतें हैं। गुरुवार को 155ग्राम पंचायतों में कार्यों की प्रगति शून्य रही। अमेठी, भादर, भेंटुआ और संग्रामपुर में कार्यस्थलों पर काम करने वाले मजदूरों की संख्या एक हजार से कम है।

कार्यस्थलों पर काम करने वाले मजदूरों की संख्या,18810रही।

मनरेगा में 90फीसदी जाब कार्ड खाली पड़े हुए हैं। मजदूर न मिलने से रोजगार सेवक, पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान सभी परेशान हैं।

गुरुवार को स्थानीय बाईपास के किनारे काम की तलाश में खड़े कई मजदूरों ने बताया कि यहां आने पर 500रू से 550 रू तक दिहाड़ी मिल जाती है। मनरेगा में काम करने पर 250रू भी रोज नहीं मिल पाते।चार चार महीने तक मजदूरी का पैसा रूका रहता है।

मनरेगा कार्मिकों को हर महीने नहीं मिल पाता मानदेय

अमेठी। मनरेगा में काम करने वाले रोजगार सेवक,ए पी ओ, तकनीकी सहायक और कम्प्यूटर आपरेटर कभी भी समय से मानदेय नहीं पाते।इन कर्मियों से काम रेगुलर कर्मियों से अधिक लिया जाता है। जिले के कई विकास खंडों में मनरेगा कर्मियों को अभी तक जनवरी, फरवरी का मानदेय नहीं मिला है।काम के अधिक बोझ, अधिकारियों के दबाव और समय से मानदेय न मिलने से दुःखी होकर भादर के ए पी ओ भूपेंद्र विक्रम सिंह ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है।

जिले में 13विकास खंड हैं।ए पी ओ सात ही हैं।जो ए पी ओ काम छोड़कर चले गए, उनके स्थान पर किसी की नयी नियुक्ति नहीं हुई है।

मनरेगा के कार्यों की प्रगति में पहले की अपेक्षा सुधार हुआ है।नये काम शुरू कराए गए हैं। वृक्षारोपण कार्य के साथ मिट्टी के कार्यों में भी जाब कार्ड धारकों को रोजगार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।ए पी ओ के त्याग पत्र के बारे में हमें जानकारी नहीं है।

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