‘दो दिन पहले हुए दागिस्तान हमले ने रूस में आतंकवाद की आशंका को पुनर्जीवित कर दिया है। यह हमला 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में मुस्लिम बहुल उत्तरी काकेशस में हुई तीव्र हिंसा की याद दिलाता है।’ अमेरिकी समाचार पत्र द न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट में अमेलिया नीरेनबर्ग ने यह अभिमत व्यक्त किया है।
अमेलिया नीरेनबर्ग का मानना है कि ‘यह हमला 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में मुस्लिम बहुल उत्तरी काकेशस में हुई भयावह हिंसा की याद दिलाता है। वह रक्तपात इस्लामी कट्टरवाद और संगठित अपराध के संयोजन के कारण हुआ था। 1999 में सत्ता में आने के बाद इसे दबाना रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए डींगें हांकने का मुख्य मुद्दा बन गया।’
उनका कहना है, ‘उस विरासत को अब हिंसा के पुनरुत्थान से खतरा हो रहा है। मार्च में मॉस्को के पास एक कॉन्सर्ट हॉल में चार बंदूकधारियों ने 145 लोगों की हत्या कर दी थी। इस्लामिक स्टेट ने उस हमले की जिम्मेदारी ली थी। नीरेनबर्ग ने अपने विश्लेषण में कहा है, ‘रविवार को हुए हमले ने उन बढ़ती चुनौतियों पर प्रकाश डाला है जिनका सामना रूस कर रहा है, क्योंकि यूक्रेन में युद्ध के कारण उसकी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा तंत्र पर प्रभाव पड़ रहा है।’
उल्लेखनीय है कि दक्षिणी रूस के दागिस्तान क्षेत्र में रविवार को हुए समन्वित हमले में कम से कम 20 लोग मारे गए। यह 14 वर्ष में क्षेत्र में सबसे घातक हमला है। रूसी अधिकारियों ने हमले को आतंकवादी कृत्य के रूप में नामित किया है। बंदूकधारियों ने एक पुलिस स्टेशन के साथ आराधनालय और चर्चों को भी निशाना बनाया। मृतकों में से 15 पुलिस अधिकारी और पादरी है। अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बलों ने पांच हमलावरों को मार गिराया। इस घटना के बाद, इस क्षेत्र में सोमवार, मंगलवार और बुधवार को शोक दिवस घोषित किया गया है।