कुलपति के अदूरदर्शी निर्णयों से शिक्षक संघ आंदोलित, 24 फरवरी को घेराव का ऐलान

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अवधनामा संवाददाता

अयोध्या। राज्य विश्वविद्यालयों में पठन पाठन ठप्प है। कुलपतियों का काम एक खास विचारधारा के तले दीक्षांत, नैक, निर्माण, नियुक्ति कराना रह गया है। राज्य सरकार की स्थिति मूकदर्शक की है। रामनगरी के डाक्टर राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की तो महिमा ही निराली है। नई कुलपति प्रतिभा गोयल ने अपने निर्णयों से शिक्षक संघ को आंदोलित कर दिया है। यहां पठन पाठन की स्थिति बेहद गंभीर है। वर्ष भर बिना पढ़ाई के परीक्षाओं का ही दौर चलता है। आजिज आकर शिक्षक संघ ने परीक्षा बहिष्कार व कुलपति के घेराव का निर्णय लिया है।
डा राम मनोहरलोहिया विश्वविद्यालय, महाविद्यालय शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने समस्याओं का निराकरण ना होने पर 24 फरवरी से विशाल धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी है। महाविद्यालय शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने समस्याओं के संदर्भ में 11 जनवरी व 4 फरवरी 2023 को मांग पत्र देकर निराकरण की मांग किया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिक्षकों की मांग की अनदेखी की। कुलपति के आश्वासन पर शिक्षक संघ ने 18 फरवरी को विश्वविद्यालय प्रशासन के आश्वासन पर 19 फरवरी से होने वाले धरना प्रदर्शन व परीक्षा बहिष्कार को स्थगित कर दिया था। लेकिन निर्धारित समयावधि में शिक्षकों की समस्या का निराकरण नही किया गया।
कुलपति, कुलसचिव की कार्यप्रणाली से त्रस्त शिक्षक संघ ने अब 24 फरवरी से विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक संघ समूहों के साथ मिलकर विशाल धरना प्रदर्शन का फैसला लिया है। पूर्व कार्य परिषद सदस्य ओम प्रकाश सिंह का कहना है कि विश्वविद्यालय में लोकतांत्रिक मूल्यों का गला घोंट दिया गया है। मनमानी करने के लिए कार्यपरिषद में छात्र कोटे से निर्वाचित होने वाले चार सदस्यों का चुनाव जानबूझकर नहीं कराया जा रहा है। पठन पाठन ठप्प है। सेमेस्टर प्रणाली का खामियाजा छात्र भुगत रहे हैं। महाविद्यालय शिक्षक संघ के महामंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि 11 जनवरी को हुई बैठक में शिक्षक संघ ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा समिति द्वारा दिए गए भ्रामक नोटिफिकेशन एवं ऑर्डिनेंस की गलत व्याख्या के कारण प्रवेश से वंचित कार्यरत शिक्षकों को शासनादेश 6 जनवरी 2022 के द्वारा प्रवेश सुनिश्चित कराने की मांग किया है। महाविद्यालयों से संबंधित कार्यों के लिए गठित विभिन्न समितियों में महाविद्यालय शिक्षकों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए । विश्वविद्यालय परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन शिक्षकों द्वारा संचालित पूर्व व्यवस्था जिसे मनमाने ढंग से हटा दिया गया है को पुनः बहाल किया जाए ।क्रीड़ा शुल्क में विश्वविद्यालय
महाविद्यालय का 70 :30 का अनुपात मनमाने ढंग से तोड़ मरोड़ कर 50-50 कर दिया गया है जिसे पुनः 70:30 किया जाए क्योंकि वर्ष पर्यंत क्रीड़ा का अभ्यास महाविद्यालयों द्वारा कराया जाता है जो खिलाड़ी के मेडल जीतने में मदद करता है। महाविद्यालयों के लिए सिर्फ महाविद्यालय के छात्र से प्राप्त शुल्क ही एकमात्र आय का स्रोत है। शिक्षक संघ की मांग है कि प्राप्तांक शुल्क से महाविद्यालयों के प्राचार्य व नानटीचिंग को मिलने वाला 25% अंशदान समाप्त कर दिया गया है जिसे तत्काल बहाल किया जाए। नवनियुक्त शिक्षकों को परिवीक्षा अवधि पूरा होने पर यदि शोध कार्य पर्यवेक्षण की व्यवस्था है तो उन्हें मूल्यांकन का कार्य करने की अर्हता क्यों नहीं दी जा रही ? मिड टर्म परीक्षा जो कुल परीक्षा का 25% है का संचालन एवं मूल्यांकन महाविद्यालयों द्वारा किया जा रहा है । परीक्षा शुल्क से प्राप्त राशि का 25% महाविद्यालयों को दी जाए।

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