सट्टेबाजी एप को लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, कहा- आईपीएल के नाम पर लोग सट्टा लगा रहे हैं, जुआ खेल रहे हैं

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि लोग इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) की आड़ में सट्टा लगा रहे हैं और जुआ खेल रहे हैं। न्यायालय ने सट्टेबाजी से जुड़े ऑनलाइन एप के नियमन के लिए दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केए पाल द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि लोग इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) की आड़ में सट्टा लगा रहे हैं और जुआ खेल रहे हैं। न्यायालय ने सट्टेबाजी से जुड़े ऑनलाइन एप के नियमन के लिए दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा।

जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केए पाल द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया, जिसमें दावा किया गया है कि आनलाइन सट्टेबाजी और जुआ एप का उपयोग करने के बाद कई बच्चों ने आत्महत्या कर ली है।

अभिनेता और क्रिकेटर इस तरह के ऑनलाइन एप को बढ़ावा दे रहे

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कई प्रभावशाली लोग, अभिनेता और क्रिकेटर इस तरह के ऑनलाइन एप को बढ़ावा दे रहे हैं और इस प्रक्रिया में बच्चों को लुभा रहे हैं।

सिगरेट के मामले में पैकेट पर धूमपान के दुष्प्रभावों को दर्शाने वाली तस्वीरें हैं। लेकिन, सट्टेबाजी एप के मामले में ऐसी कोई चेतावनी नहीं दी गई है। यहां तक कि भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटरों ने भी इस समय चल रहे आइपीएल के दौरान इस तरह के एप का प्रचार किया है।

इस पर पीठ ने कहा कि आइपीएल के नाम पर बहुत से लोग सट्टा लगा रहे हैं और जुआ खेल रहे हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है।पाल ने कहा कि वह लाखों माता-पिता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिनके बच्चे पिछले कुछ वर्षों में आत्महत्या कर चुके हैं।

तेलंगाना में 1,023 से अधिक लोगों ने आत्महत्या कर ली

तेलंगाना में 1,023 से अधिक लोगों ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि 25 अभिनेताओं और इन्फ्लुएंसरों ने मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ किया। राज्य में इन्फ्लुएंसरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है, क्योंकि यह मामला मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

याचिका में किसी का नाम लिए बगैर कहा गया कि क्रिकेट के भगवान ने भी इस तरह के सट्टेबाजी एप का समर्थन किया है।

पीठ ने इस स्थिति को समाज का विकृत रूप बताते हुए अपनी असहायता व्यक्त की और कहा कि कानून बनाने से लोगों को स्वेच्छा से सट्टा लगाने से नहीं रोका जा सकता। आजकल हमने अपने बच्चों को इंटरनेट दे दिया है। माता-पिता एक टीवी देखते हैं, बच्चे दूसरा देखते हैं। यह पूरी तरह से सामाजिक विकृति है।

लोग स्वेच्छा से सट्टेबाजी में लिप्त हैं

क्या किया जा सकता है, जब लोग स्वेच्छा से सट्टेबाजी में लिप्त हैं? सिद्धांत रूप से हम आपके साथ हैं कि इसे रोका जाना चाहिए.. लेकिन शायद आप इस गलतफहमी में हैं कि इसे कानून के माध्यम से रोका जा सकता है। फिर भी हम केंद्र सरकार से पूछेंगे कि वह इस मुद्दे पर क्या कर रही है?

कोई कानून लोगों को नहीं रोक सकता

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जिस तरह हम लोगों को हत्या करने से नहीं रोक सकते, उसी तरह कोई कानून लोगों को सट्टा लगाने या जुआ खेलने से नहीं रोक सकता।

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