लखीमपुर खीरी– खीरी में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए डीएम महेंद्र बहादुर सिंह के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में प्रशासन कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा। डीएम के निर्देश पर सभी एसडीएम, तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार अपने तहसील क्षेत्र में भ्रमणशील रहकर किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभाव बता रहे हैं। गांव में कहीं चौपाल के जरिए तो कहीं खेत में खड़े होकर किसानों को पराली ना जलाने का संकल्प दिला रहे हैं।राजस्व अधिकारी ग्राम चौपाल के जरिए पराली व फसल अवशेषों के बेहतर प्रबन्धन से भूमि की उर्वरा शक्ति में इज़ाफा करने के तौर तरीके बता रहे हैं। इनसीटू यंत्रों के उपयोग से खेतों में मिलाकर कम्पोस्ट खाद बनाई जा सकती है अथवा अवशेष पराली को आस-पास की गौशाला को दान किया जा सकता है। डीएम के निर्देश पर तहसील सदर में एसडीएम श्रद्धा सिंह, गोला में रत्नाकर मिश्रा, मोहम्मदी में डॉ अवनीश, धौरहरा में धीरेंद्र सिंह, निघासन में अश्विनी कुमार सिंह, मितौली में विनीत उपाध्याय, पलिया में कार्तिकेय सिंह जागरूकता की कमान स्वयं अपने हाथों में लिए हुए है। जागरूकता अभियान की प्रगति की डीएम स्वयं मॉनिटरिंग कर रहे हैं।तहसीलदार निघासन भीमसेन ने ग्राम गंगानगर में पराली प्रबंधन के लिए ग्रामवासियों से संवाद किया तथा शपथ दिलाई। तहसीलदार धौरहरा आदित्य विशाल ने कई गांव में पराली प्रबंधन जागरूकता अभियान के तहत ग्रामवासियों से संवाद स्थापित कर शपथ दिलाई गई। मितौली तहसील में ग्राम कपासी, मितौली, रौतापुर, रहजानिया, लिधियायी, हरनहा में पराली जलाने के दुष्प्रभावों, एसएमएस/रीपर लगी कंबाइन हार्वेस्टर मशीन चलाने, डिकंपोज़र के प्रयोग , पराली प्रबंधन के बिंदुओं पर चर्चा और इस संबंध में जनसंकल्प हेतु बैठक की गई। पलिया तहसील के ऐठपुर गजरौरा में विभिन्न किसानों से धान कटाई हेतु पराली प्रबंधन पर वार्ता की गई एवं उन्हें पराली न जलाने का संकल्प भी दिलाया। तहसील सदर के ग्राम गुलरीपूर्वा, सेहरुआ, कीरतपुर, चकईपुरवा में पराली प्रबंधन के संबंध में तहसीलदार सुशील प्रताप सिंह किसानों से संवाद करके जागरूक किया।
पराली को जलाएं नहीं, करें इसका बेहतर उपयोग : डीएम
डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने किसानों से अपील की पराली-फसल अवशेषों को जलाए नहीं, वरना उसे इन सीटू यन्त्रों (मल्चर, रोटावेटर, रिवर्सेबल एम.वी. प्लाऊ अन्य उपयोगी कृषि यंत्रों ) का प्रयोग कर खेतों में मिलाकर कम्पोस्ट खाद बनाएं, इससे भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी। फसल का उत्पादन भी बढ़ेगा। डीएम ने किसानों को सुझाव दिया कि खेती के साथ-साथ फसल अवशेष व पराली प्रबन्धन में वैज्ञानिक विधि व अत्याधुनिक कृषि यन्त्रों का प्रयोग कर अपनी आय में इज़ाफे के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में सहयोग कर पृथ्वी के वातावरण को जीवन योग्य बनाए रखने में मदद करें।