गोटाभाया राजपक्षे की जीत के बाद डरा हुआ हैं श्रीलंका का मुस्लिम समुदाय ?

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श्रीलंका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में गोटाभाया राजपक्षे ने जीत हासिल कर ली है. कई सिंहलियों के लिए पूर्व रक्षा मंत्री गोटाभाया राजपक्षे देश के तारणहार हैं जिन्होंने तीन दशकों तक चले गृहयुद्ध में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल एलम (लिट्टे) का सफलतापूर्वक दमन करने में अहम भूमिका निभाई. राजपक्षे का मुकाबला निवर्तमान यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) सरकार में मंत्री रहे साजित प्रेमदास से था

वे सोमवार को देश के सातवें राष्ट्रपति के रुप में शपथ लेंगे। राष्ट्रपति पद के लिए शनिवार को मतदान हुआ था और परिणाम रविवार को घोषित हुआ। चुनाव आयोग के प्रमुख महिंदा देशप्रिया ने कहा कि राजपक्षे ने 60 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए।

यह कुल वोटों का 52% है। राजपक्षे ने जीत के बाद ट्वीट किया, “श्रीलंका ने एक नई यात्रा शुरू की है और सभी श्रीलंकाई नागरिक इस यात्रा का हिस्सा हैं। राष्ट्रपति बनने का अवसर देने के लिए आप सभी का आभारी हूं। मैं न केवल उन लोगों का, जिन्होंने मुझे वोट दिया, बल्कि सभी नागरिकों का राष्ट्रपति के रूप में आभारी हूं। आपने मुझ पर जो भरोसा किया है, उस पर मैं आगे बढ़ रहा हूं। आपका राष्ट्रपति होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान होगा।”

राजपक्षे के प्रवक्ता केहेलिया रम्बुकवेला ने इसे गौतबाया की जीत करार दिया। उन्होंने कहा, “हमें 53 से 54% के बीच वोट मिले हैं। यह हमारी साफ जीत है। सोमवार या उसके एक दिन बाद उनका शपथग्रहण हो सकता है।” राजपक्षे को देश के ज्यादातर सिंहली बहुल इलाकों का समर्थन मिला है, जबकि प्रेमदासा श्रीलंका के पूर्वी और उत्तरी क्षेत्रों में रहने वाले अल्पसंख्यक तमिल समुदाय के बीच लोकप्रिय हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि वह रविवार शाम तक नतीजे घोषित कर सकता है।

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