सोनार बागंला को नज़र लग गई

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एस.एन.वर्मा
मो.7084669136

बंगाल भारत का वह ज़रखेज प्रान्त है जहां हर तरह के बौद्धिक विशारद बहुतायत से हुये है। जिन्दगी का कोई भी पहलू ऐसा नहीं है जहां इस क्षेत्र की माटी ने एक से एक बढ़ कर राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर के लाल पैदा न किये हो। पढ़ाई, खेलकूद, मनोरंजन, साहित्य, शिक्षा, विज्ञान, तकनीक सैन्य कोई क्षेत्र बचा नहीं है जिसमें मूछन्यि न हो। नोवेल विजेता, रवीन्द्रनाथ, जगदीश चन्द्र बसु, दार्शनिक आविन्द्र छा आईएनए के नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को कौन भारतीय नही जानता है और कौन गर्व नहीं करता है। राजनैतिक नेताओं और क्रान्तिकारियों की तो बड़ी लम्बी लिस्ट है।
शिक्षा जो किसी समाज के बौद्धिकता का बैरोमीटर होता है इस समय बंगाल में बहुत दूषित हो गया है। रवीन्द्र नाथ टैगार को आधुनिक भारत के शौक्षिक पुनरस्थापना का मसीहा कहा जाता है। जिन्होंनेे शिक्षा के सर्वोच्च आदर्शो के पुनुरूत्थान के लिये शान्ति निकेतन की स्थापना की और नये नये शैक्षिक सफल प्रयोग किये। वहां शान्ति निकेतन इस समय विवादो से जूझ रहा है। ममता सरकार भी खामोश है। उन्हीं के मन्त्रीमन्डल के बाहुबली नेता की विरोध की वजह से केन्द्रीय विश्वविद्यालय चारदिवारी नही बना पा रहा है। केन्द्र और राज्य के टकराव के बीच भी यह मसला फंसा हुआ है।
इस समय बंगाल की पूरी शिक्षा व्यवस्था भ्रष्टाचार के चंगुल में है। प्राइमरी से लेकर कालेज स्तर तक की परिक्षाओं और भर्तियों में भ्रष्टाचार पसरा हुआ है। परिक्षाये और भर्तीयां मजाक बन गई है और हर तरफ इसकी चर्चा हो रही है। एक राज्य मंत्री ने एक मेघावी छात्रा का नाम कटवा कर अपने अयोग्य बेटी को आगे कर दिया। मामला कोर्ट में गया, हाईकोर्ट ने असली हकदार को नियुक्त करने का आदेश दिया और मंत्री को बेटी को हटाने का आदेश दिया साथ ही बेटी द्वारा प्राप्त किये गये वेतन की पूरी राशि लौटाने का भी आदेश दिया।
पश्चिम बंगाल की स्कूल सर्विस कमीशन भ्रष्टाचार की जांच चल रही है। जांच में नई नई पर्ते उघड़ रही है। हाईकोर्ट के आदेश पर सेवा निवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्ष में न्यायमूर्ति रंजीत बग समिति गठित की गई थी। समिति की रिपोर्ट से पता चला 381 लोगों को स्कूल सर्विस कमीशन की कमेटी ने कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद भी नियुक्ति के लिये सिफारिश पत्र जारी किये। इनमें 222 नाम किसी भी पैनल या प्रतीक्षा सूची में नही थे। इसमें से किसी ने भी लिखित परीक्षा पास की न साक्षात्कार में भाग लिया अनुशंसा पत्र एसएससी कार्यालय से स्कैन किये गये दस्तखत के साथ जारी किये गये है। इस भ्रष्टाचार के लिये 11 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की सिफारिश की गई है। इस कार्य में शिक्षा राज्य मंत्री और पूर्व शिक्षा मंत्री और मौजूदा उद्योग मंत्री भी शामिल है। मंत्री पार्थ चटर्जी के मंजूरी के आधार पर बनी सलाहकार समिति अवैध थी और उसी ने बिना परीक्षा में बैठे छात्रों को नियुक्ति पत्र दिये। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोयाध्याय की पीठ ने एसएसी के ग्रुप-डी, गु्रप-सी और कक्षा नौवी और दसवीं के शिक्षकों की भर्ती में भ्रष्टाचार के सात मामलों में सीबीआई जांच के निर्देश दिये है। रिपोर्ट में कहा गया है एसएससी चेयरमैन शान्ति प्रसाद सिंन्हा झूठी सिफारिश वाला पत्र दिया करते थे। इसी के आधार पर कल्याणमय गंगोयाध्याय तकनीकी अधिकारी रोजश लायक के साथ नियुक्तियां तैयार करते थे।
ममता बनर्जी एक बिल लाने वाली है जिसमें राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों का आचार्यपद खुद लेना चाहती है। अभी तक यह पद हमेशा राज्य के राज्यपालो के नाम रहा है। यही नहीं बंगल के शिक्षामंत्री ने एलान किया है कि विश्वविद्यालयों के विजिटर अब से वह खुद रहेगे। यह तो जानते ही है कि कोई बिल कानून तभी बनेगा। जब राज्यपाल हस्ताक्षर करेगे।
बंगाल में 2016 की एसएससी परीक्षा पास कर चुके लोग नौकरी के लिये बेमियादी अनशन पर बैठे हुये है ममता सरकार इस तरफ आंख मंूदे शिक्षा के क्षेत्र में अपना अधिपत्व कायम करने में लगी हुई है। यही हाल उनके सम्बन्धित मंत्रियों का भी है। 2016 के पास विद्याथर््िायों के दिल पर क्या गुजरती होगी जब वे सुनते होगे जो जगहे उन्हें मिलनी चाहिये थी वह बिना परीक्षा पास किये हुये अयोग्य लोगो को मिल रही है भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और मंत्रियों के बदौलत एक कैन्सर से पीड़ित सीमा दास 2019 में अनशन पर बैठी थी। हाईकोर्ट के जज अभिजीत गांगुली ने सहानभूति के आधार पर नौकरी का प्रस्ताव दिया पर मैडम ने प्रस्ताव अस्वीकार करते हुये कहा अन्दोलन हम सभी कर रहे है, हम अकेले कैसे प्रस्ताव स्वीकार करले। हालाकि दबाव पड़ने पर बाद में स्वीकार कर लिया। आज भी हजारो क्षेत्र अन्दोलन पर है और सीबीआई और कोर्ट की ओर आशाभरी नजरो से देख रहे है न्याय पाने के लिये।

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