वीर सैनिकों, सैनानियों का श्रद्धा से जीवन संवारने का पर्व है श्राद्ध: पद्मश्री भारत भूषण

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अवधनामा संवाददाता

सहारनपुर। मोक्षायतन योग संस्थान में आज शहीदों की स्मृति में श्राद्ध अमावस्या पर सभी ज्ञात-अज्ञात महान आत्माओं का यज्ञ, तर्पण व तिलांजलि देकर अनूठा श्राद्ध किया गया।
मोक्षायतन योग संस्थान की पहल पर आज लीक से हटकर श्राद्ध पर्व मनाने की शुरुआत में लंबी लड़ाई के बाद अपना सर्वस्व बलिदान करके देश को आजादी दिलाने वाले गुरु गोबिंद सिंह, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, अहिल्या बाई से लेकर प्रथम स्वाधीनता संग्राम के सूत्रधार दयानंद सरस्वती, मंगल पांडे, लक्ष्मी बाई आदि सेनानियों से लेकर काकोरी शहीदों अशफाक उल्ला ख़ां रामप्रसाद बिस्मिल, स भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद सेना के पहले परमवीर मेजर सोमनाथ शर्मा से ले कर हवलदार अब्दुल हमीद, कैप्टन विक्रम बत्रा सरीखों, पुलिस वीरों, एपीजे अब्दुल कलाम व रमन सरीखे वैज्ञानिकों गणितज्ञों, शंकराचार्य व विवेकानंद सरीखे आध्यात्मिक महामानवों, भारत रत्न अटल और मालवीय सरीखे सामाजिक चिंतकों, चिकित्सविदों, को शिक्षाविदों, उद्यमियों व साहित्यकारों के साथ मानवता को विकास की ओर ले जाने में योगदान देने वाले सभी ज्ञात अज्ञात महान आत्माओं का यज्ञ, तर्पण व तिलांजलि दे कर अनूठा श्राद्ध किया गया। श्राद्ध करते समय योग गुरु स्वामी भारत भूषण ने कहा कि मानवता की के पोषण रक्षण और सृष्टि में संतुलन बनाए रखने में योगदान देने वाले गाय श्वान व कव्वा जैसे जीवों के लिए भी बालि यानी शेयर निकालने से सहस्तित्व का विधान श्राद्ध परंपरा में है। गुरुदेव ने कहा कि प्राय हम अपने पूर्वजों का श्राद्ध करके उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करते है जिन्होंने हमे जन्म संपदा संस्कार आदि दिए लेकिन जिन्होंने अपनी गृहस्थी भी न बसाकर हमारे लिए गोली फांसी खा कर जाने कुर्बान कर दी या फिर हमारे लिए नित नई वैज्ञानिक शोध करने में पूरा जीवन होम कर दिया उनका श्राद्ध करना हमे ऋण मुक्त करने के साथ साथ सुपात्र बनाता है। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के उदाहरण से कहा कि श्रद्धावान व संयतेंद्रिय व्यक्ति को ज्ञान और परम शांति थोड़े समय में ही मिल जाती है, जिससे वह सब कुछ पा लेता है। कार्यक्रम में दर्शनीय बात यह थी कि कई दिन से लगातार चल रही वर्षा के बीच केवल आयोजन के पूरे समय वर्षा थमी रही और श्राद्ध कार्य निर्विघ्न चलता रहा। मुख्य यजमान के रूप में अधिशासी अभियंता आलोक श्रीवास्तव, सचिव एन के शर्मा, ऋषिपाल सिंह पंवार, दंपति सुभाष वर्मा पूनम वर्मा, डा अशोक गुप्ता, योगाचार्या अनीता शर्मा, धर्मेश शर्मा, राजन टोंक, राजेश अरोरा, ललित वर्मा, इं अमरनाथ, आस्था, रेशमा, कंचन, सुनील शर्मा, विजय सुखीजा, भारत भूषण, सुमन्युसेठ, रॉक्सी सिंह, अजीत शर्मा आदि ने उपस्थित रहकर श्राद्धकर्म पूरा किया। लीक से हटकर अनूठे श्राद्ध पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अनेक युवा योग साधकों ने अपने सौभाग्य को सराहा और कहा कि हमे जीवन में पहली बार अपने इन महान पूर्वजों के चित्र और चरित्रों से परिचित होने का मौका मिला। हमारा श्राद्ध पर्व और हवन यज्ञ सब का हित चाहने और उसके लिए कर्म करने की अनूठी मिसाल है।

 

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