शिवम भारत गैस धड़ल्ले से बेच रहे ओवर रेटिंग घरेलू सिलेंडर.

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अवधनामा संवाददाता
 शिवम भारत गैस 1110 रूपये की जगह 1150, रुपए में बेच रहे घरेलू गैस सिलेंडर.
शिवम भारत गैस बिना उपभोक्ता पर्ची के ही उपभोक्ताओं को दे रहे घरेलू गैस सिलेंडर.
गोंडा :जिले में शिवम भारत गैस उज्जवला उपभोक्ताओं को धड़ल्ले से घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों में धड़ल्ले से किया जा रहा है। दुकानों से लेकर बेल्डर तक खुलेआम घरेलू सिलिंडर का उपयोग कर रहे हैं। इससे सरकारी खजाने को तो नुकसान हो ही रहा है, शिवम भारत गैस धड़ल्ले से ओवर रेटिंग में गैस बेच रहा है.साथ ही ग्राहकों के साथ भी छल किया जा रहा है।परन्तु प्रशासन इस पर चुप्पी साधे हुए है। सरकार ने लोगों को सस्ते दामों पर एलपीजी उपलब्ध कराने के लिए घरेलू सिलिंडर की कीमतों में छूट दे रखी है। जबकि इसकी तुलना में व्यावसायिक सिलिंडर महंगा है। अगर सब्सिडी को छोड़ दें तो घरेलू सिलिंडर में प्रति किग्रा एलपीजी की कीमत लगभग 75 रुपये व व्यावसायिक सिलिंडर में प्रति किग्रा एलपीजी की कीमत लगभग 106 रुपये है। ऐसे में दुकानदार अपनी जेबें भरने के लिए घरेलू सिलिंडर का उपयोग करते हैं।सवाल ये है कि आखिर गैस एजेंसी से उन्हें इतने घरेलू सिलिंडर मिल कैसे जाते हैं। सूत्रों के अनुसार एजेंसी संचालक अधिक से अधिक सिलिंडर की बिक्री के लिए दुकानदारों को सिलिंडर बेच देते हैं। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि इसका प्रयोग घरेलू उपयोग में किया जाएगा या फिर व्यावसायिक। उन्हें तो बस अपनी आमदनी से मतलब है। एजेंसी संचालकों की ये मनमानी सीधे शासन के खजाने को नुकसान पहुंचा रही है।न तो प्रशासन को इसकी कोई चिंता है और न ही गैस कंपनियों को। अगर इस पर शिकंजा कस जाए तो घरेलू गैस के लिए होने वाली किल्लत खत्म हो जाएगी।और घरेलू गैस एजेंसी के मालिक पर भी लगाम लग जाएगी. घरेलू गैस सिलिंडर और व्यावसायिक गैस सिलिंडर की पहचान करना आसान है। घरेलू गैस सिलिंडर का रंग जहां लाल होता है तो वहीं व्यावसायिक सिलिंडर का रंग नीला होता है। ऐसे में इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। अगर आपको कहीं दुकान या अन्य किसी कार्य में घरेलू गैस सिलिंडर का उपयोग होते मिलता है तो शिकायत की जा सकती है। लेकिन जिले में ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों के कारण ब्लैक मार्केटिंग करने वालों पर लगाम नहीं लग रहा है. जिला पूर्ति अधिकारी दूरभाष पर संपर्क करने पर जिला पूर्ति अधिकारी का फोन नहीं उठा तो जिस व्हाट्सएप ग्रुप से जिला पूर्ति अधिकारी जुड़े हुए थे, उस ग्रुप में एक घरेलू गैस सिलेंडर की एक सूचना ग्रुप में डाल दी गई.  तो जिला पूर्ति अधिकारी ने उस ग्रुप को ही छोड़ दिया. जिससे कि मामला संदिग्ध लगता है कि कहीं ना कहीं इस पूरे मामले में जिला पूर्ति अधिकारी की संदिग्ध भूमिका लगती है,अथवा यह सारा खेल शिवम भारत गैस एजेंसी के संचालक और जिला पूर्ति अधिकारी की मिलीभगत से खेला जा रहा है.
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