140 करोड़ लोगो का सुरक्षा कवच

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एस एन वर्मा

 

सदन में विपक्ष के आरोपो का जवाब देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे पास 140 करोड़ देशवासियों को भरोसे का सुरक्षा कवच है। इसे झूठे आरोपो और गालियों से तोड़ा नहीं जा सकता। यहां प्रधानमंत्री का आत्मविश्वास छलक रहा था। उन्हें अपने कामों पर भरोसा है। उन्होेंने मुशकिल समय में दुनियां की तुलना में अर्थव्यवस्था को सभाले रक्खा कोविड से जहां दुनियां हताश थी भारतीयो को सुरक्षित रक्खा। अन्तरराष्ट्रीय फलक पर जी-20 की अध्यक्षता हासिल की। रूस यूक्रेन के युद्ध में शान्ती के लिये अणु बम का प्रयोग रोकने के लिये रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपति से बात कर उन्हें इस तरह का कदम उठाने के लिये रोका। तेल को लेकर देश हित को तरजही देते हुये रूस पर लगे प्रतिबन्ध को नकारते हुये उससे तेल लेते रहें। यूएनओ में रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर तटस्थता कायम रक्खी। आदमी में आत्मविश्वास अपने कामों से आता है। सबसे ऊपर उनके दो काल में भ्रष्टाचार का एक भी आरोप सरकार पर नहीं लगा। मोदी ने सदन में धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का समापन विपक्ष पर तंज कसते हुये कहा जैसे सच सुनने के लिये साहस की जरूरत होती है वैसे ही झूठे और गन्दे आरोप सुनने के लिये भी हिम्मत और धैर्य की जरूरत होती है। ऐसा साहस दिखाने के लिये साथी सदस्यों को मुस्कराते हुये धन्यवाद दिया।
लोक सभा में राष्ट्रपति अभिभाषाण पर धन्यवाद प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित हो गया। इससे पहले सदन में बहिष्कार हो हल्ला, नारेबाजी, वेल के पास पहुच कर कागज फाड़ना, तख्तियां दिखाना होता था। पर इस बार सेशन में विरोध पक्ष ने सहयोग किया। लोकतान्त्रिक तरीके से विरोध किया। सदन और बहस का स्तर बनाये रक्खा स्वस्थ बहस से ही सदस्य, पार्टी सदन की गरिमा बढ़ती है। जनता इससे सीखती भी है। विपक्षी विरोध भी करते है प्रदर्शन भी करते है, नारेबाजी भी करते है। पर सब लोकतान्त्रिक तरीके से करते है। इसी तरह की बहस से सार्थक नतीजे निकलते है। आजादी के बाद लोकसभा बनी तो लम्बे अवधि तक सदन में बहस विद्वतापूर्ण होती रही है। सदस्यों और देश को भी नई-नई बाते मालुम होती रही माननीय वार्ता द्वारा लोगो को प्रेशिक्षित भी करते रहे। अब के नये सदस्यों को वे पुराने सत्रों को दिखाना चाहिये। जहां तर्क की जमीन पर तर्कसंगत वतव्य होते थे। न कि शोर शराबा, अलोकतान्त्रिक धरना प्रदर्शन, अशोभनीय टिप्पणी करते थे।
खैर यह सत्र सन्तोष जनक रहा। सत्ता पक्ष और विपक्ष ने सही ढंग से बाते सुनी भी और कही भी। यह माहौल बरकरार रहना चाहिये।
सत्ता पक्ष ने विरोध पक्ष के आरोपो को धैर्य से सुना और सही तरीके से उसका जवाब दिया। विपक्ष का अधिकार है लोकतान्त्रिक तरीके से सत्ता पक्ष को तर्क संगत विरोध बताना। इस बार अडानी ग्रुप को लेकर विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग पेश की। अमेरिकी संस्था हिन्डबर्ग अडानी ग्रुप पर धोखाधडी का आरोप लगाया है। इससे शेयरो में भारी गिरावट आने लगी भारतीय कारोबरी समूह ने इसका जवाब भी दे दिया है। बैकिंग और शेयर बाजार नियामको ने भी पहल की है। इसलिये संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने का मुद्दा बेमानी हो जाता है। विपक्ष केवल विरोध दर्शाने के लिये जेपीसी जांच करने की मांग कर रहा है, वह बेमानी लगता है। इस मामले पर छाई धुन्ध नियामक संस्थायें ही छांट सकती है जो जिसे लटकाने बजाय जल्दी कर धुन्ध साफ करें।
विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सदन ठप कर रक्खा था, फिर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में शामिल होने को तैयार हो गया और चर्चा में भाग लिया। राहुल गांधी ने चर्चा के दौरान सरकार पर कई आरोप लगाये। सत्ता पक्ष ने कहा राहुल मंच का दुरूपयोग कर रहे है। वैसे राहुल गांधी आज कल खूब बोलने लगे है। पर प्रधानमंत्री ने विपक्ष के आरोपो का जवाब अपनी उपलब्धियां गिना कर दिया। यह भी कहां देशवासियों को हमारे काम में विश्वास है जिसे झूठे आरोपो से तोड़ा नहीं जा सकता। एजेन्सियां अपना काम बिना किसी दखलन्दाजी के कर रही है। ऐजेन्सियांे द्वारा बताये गये तथ्यों को लेकर जो भी उचित कदम है उठाये जा रहे है। जनता की सोच है कि सरकार एजेन्सियों के बताने पर जो कदम उठा रही है उसे जल्द अंजाम तक पहंुचा जाय। इस समय स्टाक मार्केट और शेयर बाजार असमंजस में फंसे हुये है। नियामक संस्थाये जल्दी कोहरे को साफ को जिनसे शेयर मार्केट और स्टाक मार्केट पर छाई अनिश्चितता दूर करंे। क्योंकि शेयर मार्केट इस तरह के माहौल को लम्बे समय तक झेल नहीं सकता है। हालाकि आरबीआई ने कहा है अडानी ग्रुप की गिरावट से बैंक सुरक्षित है। पर आरबीआई ने रेपोरेट बढ़ा कर उपभोक्ताओं की मुशकिलों को दरबदर बढ़ा रहा है। इधर बहुत जल्दी-जल्दी रेपेरेट बढ़ रहा। आबीआई को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिये। महंगाई और मुद्र स्फीति को काबू में कराने के लिये कुछ प्रभावी कदम उठाये।
नियामक संस्थाओं और आरबीआई ही मार्केट में छाई अनिश्चितता को दूर करने में कारगर उपाय निकाल सकते है। सरकार के बाद जनता इन्हीं की ओर देखती है। सदन की ओर लौटे तो इस बार सदन के सदस्यों ने भारत के लोकतन्त्र की तरफ से जनता को अश्वस्त किया है। यही माहौल कायम रहना चाहिये। इसी से हर प्रधानमंत्री और सदन के सदस्यों का सुरक्षा कवच मजबूत होगा जिसे झूठे आरोपो मतभेदों से भेदा नहीं जा सकेगा।

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