नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भूख और कुपोषण से निपटने के लिए सामुदायिक रसोई स्थापित करने की योजना बनाने की मांग वाली याचिका पर कोई भी निर्देश देने से गुरुवार को यह कहते हुए इनकार कर दिया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और अन्य केन्द्र एवं राज्य द्वारा कल्याणकारी योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि वैकल्पिक कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए खुला है।
पीठ ने कहा, “लोगों को किफायती मूल्य पर पर्याप्त मात्रा में भोजन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भारत संघ और राज्यों द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और अन्य कल्याणकारी योजनाएं लागू की जा रही हैं। हम इस संबंध में कोई और निर्देश जारी करने का प्रस्ताव नहीं करते हैं।”
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हमने इस बात की जांच नहीं की है कि क्या सामुदायिक रसोई की अवधारणा एनएफएसए के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए राज्यों के लिए बेहतर या समझदार विकल्प है। इसके बजाय, हम वैकल्पिक कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए इसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए खुला छोड़ देंगे।