अवधनामा जिला संवाददाता हिफजुर्रहमा
हमीरपुर। सुमेरपुर, राष्ट्र की विभूतियों की प्रासंगिकता को देखते हुये वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत नारी मुक्ति और शिक्षा आन्दोलन की प्रथम महानायिका सावित्री बाई फुले की जयन्ती 03 जनवरी पर संस्था के अध्यक्ष डा भवानीदीन ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा सावित्रीबाई फुले वास्तव मे देश की पहली महिला शिक्षिका थी,ये महाराष्ट्र के सतारा जिले के नयागांव की निवासी थी,इनका 03 जनवरी 1831 को नयागांव मे जन्म हुआ था, इनका 1840 मे मात्र 09 वर्ष की उम्र मे महान समाज सुधारक ज्योतिबा फूले से से विवाह हो गया था,शादी के बाद इन्होंने अपना शैक्षिक विकास किया,1848 मे पहला बालिका विद्यालय खोला, जब ये रास्ते से निकलती थी तो इन पर पत्थर व गंदगी फेकी जाती थी, किन्तु इन्होंने हार नहीं मानी, ज्योतिबाफुले और सावित्रीबाई ने मिलकर सत्य शोधक समाज की स्थापना की,दलित नारियों को जागरूक किया,साथ ही समाज सुधार के क्षेत्र मे अनेक कार्य किये, इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है, कालांतर मे 10 मार्च 1897 को सावित्रीबाई फुले ने इस दुनिया से विदा ली,कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट अशोक अवस्थी, राधारमण गुप्ता, सिद्धा प्रजापति, बाबू लाल प्रजापति, प्रेम प्रजापति,अरविंद, कल्लू प्रजापति, सुखराम वर्मा, पन्नू,मुकेश प्रजापति दस्सी और अभिषेक आदि शामिल रहे।