Thursday, March 6, 2025
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समाजवादी व्यापार सभा ने जीएसटी की जटिलताओं को लेकर दिया ज्ञापन

Samajwadi Vyapar Sabha submitted a memorandum regarding the complexities of GST

अवधनामा संवाददाता

ललितपुर (Lalitpur)। विसंगतिपूर्ण जीएसटी की वजह से व्यापार के बर्बाद होने से प्रताडि़त व्यापारियों ने समाजवादी व्यापार सभा के जिलाध्यक्ष प्रदीप जैन चिगलौआ के नेतृत्व में प्रधानमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में बताया कि जीएसटी प्रणाली को लागू हुए 4 वर्ष हो चुके हैं, वन नेशन वन टैक्स, सरल टैक्स प्रणाली के नाम पर रात को 12 बजे जोर शोर से लागू की गई जीएसटी आज देश के लिए एक अभिशाप साबित हुई है। ठीक 4 वर्ष पहले 1 जुलाई 2017 को जब जीएसटी व्यवस्था लागू की गई थी तब व्यापारियों को प्रधानमंत्री ने दिलासा दिया गया था की सरल टैक्स प्रणाली से व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। परंतु व्यापारी पांच स्लैब वाली जटिल जीएसटी से बहुत परेशान एवं तनाव में है। जीएसटी कॉउंसिल द्वारा अभी तक 950 से ज्यादा संशोधन किए जा चुके हैं। यह इस बात का ग्योतक है की सरकार ने जीएसटी जल्दबाजी में बिना सोचे समझे लागू की। नोटबंदी के बाद इस जटिल और व्यापार विरोधी जीएसटी लागू होने से कई प्रतिष्ठान बंदी के कगार पर पहुंच जाने के कारण करोड़ों नौजवान बेरोजगार हो गए। विश्व बैंक तक ने कहा है की भारत में लागू की गई जीएसटी दुनिया मे सबसे जटिल है।इंस्पेक्टर राज चरम पर है। अत: इस तरह की विसंगतिपूर्ण जीएसटी से राहत देने के लिए समाजवादी व्यापार सभा ने प्रधानमंत्री के समक्ष मांगों को रखते हुये बताया कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाया जाए, जीएसटी के तीन स्लैब बनाएं जाएं, उत्तर प्रदेश में अभी तक लगभग 4000 करोड़ से ज्यादा जीएसटी रिफंड विभाग में फंसा हुआ है। पूंजी रिफंड में फंसी होने के कारण व्यापारी पर बैंक का कर्ज बढ़ता जाता है।अत: इनपुट टैक्स क्रेडिट (रिफंड)का समय निश्चित किया जाए और रिफंड वापस किया जाए। जीएसटी के रिटर्न एवं आयकर तथा अन्य विभागों के रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाकर 30 जून 2021 तक प्रभावी की गई है। अभी लौकडाउन चल रहा है ऐसे में व्यापारी अपना तय समय में रिटर्न तैयार करने में असमर्थ है। अत: उपरोक्त रिटर्न की तिथियां 30 सितंबर 2021 की जाएं। जीएसटी में पंजीकृत व्यापारी को कोरोना महामारी में कवर करते हुए 10 लाख रुपये का बीमा लाभ दिया जाए। खाद्यान्न, गल्ला, दलहन आदि जीएसटी में कर मुक्त हैं। वैट अवधि का रहतिया स्टॉक जीएसटी में समायोजित किया गया है।वैट अवधि के कर निर्धारण के समय कर निर्धारण अधिकारी द्वारा उपरोक्त रहतिया स्टॉक पर टैक्स निकालकर कर देयता बना रहे हैं।जब टैक्स मुक्त कर दिया गया है और वैट भी समाप्त हो चुका है तो उपरोक्त कर देयता न्यायोचित नहीं है।अत: इसे समाप्त किया जाए। जीएसटी पोर्टल पर व्यापार के प्रकार के लिए होलसेलर,रिटेलर के कालम दिये गए हैं जिनमें से एक को टिक करना है परंतु कुछ व्यापारी दोनों प्रकार का कार्य करते हैं।अत: पोर्टल पर होलसेलर व रिटेलर दोनों के लिए एक और कॉलम होना चाहिए। जीएसटी पोर्टल पर निर्माता व ट्रेडर के कालम है जिनमें से एक को टिक करना है परंतु कुछ व्यापारी निर्माण व ट्रेडर दोनों प्रकार के कार्य करते हैं।अत: पोर्टल पर निर्माण व ट्रेडर दोनों के लिए एक और कालम होना चाहिए। जीएसटी एक्ट में जुर्माना और पेनाल्टी दो अलग अलग प्रावधान किए गए हैं जबकि दोनों एक ही समझे जाते हैं।अत: इनमें से एक को समाप्त होना चाहिए। जीएसटी में व्यापारी को किसी कमी के लिए पहले कर,पेनाल्टी, ब्याज आदि जमा करने का नोटिस दिया जाता है।बाद में उसका शो कौस नोटिस दिया जाता है।पहले सभी को शो कौस नोटिस देना चाहिए।उसके बाद व्यापारी का उत्तर आने के बाद निश्चित होना चाहिए कि कुछ पेनाल्टी / ब्याज लगना है या नहीं। माल के परिवहन के दौरान यदि कागजात में कुछ कमी अधिकारी को मिलती है तो दूर के स्थान पर अधिकारी होने पर भी वहीं उस मामले के निपटारे का प्रावधान धारा 129 में रखा गया है।जबकि व्यापारी दूसरे स्थान पर पंजीकृत होते हैं।वैट की तरह पंजीकृत वाले स्थान पर मामले का निपटारा होना चाहिए। जीएसटी में गिरफ्तारी का प्रावधान उत्पीडऩकारी व अन्यायपूर्ण है। उपरोक्त मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए जीएसटी का सरलीकरण कर व्यापारियों को राहत प्रदान करने की मांग उठायी गयी। इस दौरान नगराध्यक्ष राजेश जैन झोजिया, अभिषेक सिंघई, सुनील भैया, महेन्द्र सोनी, सुरेन्द्र पाल सिंह, माताब सिंह, संतोष साहू, रंजीत सिंह, दीपक जैन, मुकेश राही, पवन कुमार तिवारी, जसप्रीत सिंह, जितेन्द्र सिंह जीतू, विक्रम सिंह बरखेरा आदि मौजूद रहे।

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