बस्ती। जनपद में जनहित मांगों को लेकर आर.के. आरतियन ने अपना आमरण अनशन चौथे दिन समाप्त कर दिया। पानी बदायूं की एक शायरी के साथ उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया मौजों की सियासत से मायूस न हो ‘फ़ानी’, गिर्दाब की हर तह में साहिल नज़र आता है। आपको बताते चलें यह अनशन जनपद के विभिन्न जन समस्याओं के समाधान क के साथ-साथ विकासखंड गौर के ग्राम पंचायत पाटील में एक जीवित व्यक्ति को मृत्यु दिखाए जाने के संबंध में था। हालांकि अमृत अंश के दिन ही उच्च अधिकारियों ने इस प्रकरण में दोषी पाए गए कर्मचारियों के विरुद्ध वेतन वृद्धि को रोक दिया था। आर.के. आरतियन ने बताया कि अनशन के दौरान उन्हें लगातार छाती में दर्द और निम्न रक्तचाप जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि उन्हें क्रांतिकारी साथियों और पत्रकार बंधुओं का भरपूर सहयोग मिला, जिससे उनका मनोबल बना रहा। अनशन के दौरान, उन्हें ठाकुर प्रेम नंदवंशी और राम सुमेर यादव का संरक्षण मिला, जबकि चंद्रिका प्रसाद और हृदय गौतम ने किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सतर्कता बनाए रखी। अनशन में महिलाओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही, जिन्होंने दूर-दूर से आकर अपना समर्थन दिया। पत्रकार बंधुओं ने भी अनशन को व्यापक कवरेज दी, जिससे जन-जन तक यह मुद्दा पहुंचा। अनशन का समापन बड़े भाई राम जतन के साथ बातचीत, चंद्रिका प्रसाद की पहल पर और डा. आर.के. आनन्द, दिनेश चौधरी, आर.के. गौतम के सहयोग और डीडीओ, डीपीआरओ, डीएसओ, बीडीओ गौर के साथ हुई वार्ता के बाद हुआ।
डीडीओ साहब ने जूस पिलाकर अनशन समाप्त कराया गया। आगे उन्होंने लिखा की इस आंदोलन में कई महानुभावों साथियों का भरपूर समर्थ मिला जिनमें अमरजीत आर्य, चंद्र प्रकाश गौतम, कृपा शंकर वर्मा, राम केश, राहुल कुमार, विनय कुमार, बुद्धेश राना, अजीम, रंगई प्रसाद, राम गणेश सहित सैकड़ों साथी कंधे से कंधा मिलाकर डटे रहे। नाई महासभा, एआइएमसीईए का समर्थन शुरू से रहा, जबकि सरदार सेना ने भी अनशन के अंतिम दिन अपना समर्थन दिया। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के समर्थन से प्रशासन में हलचल मच गई और उनके समर्थन के बिना शायद अनशन को और लंबा खींचना पड़ता। आर.के. आरतियन ने सभी समर्थकों, पत्रकार बंधुओं और अधिकारियों को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह जीत उनकी नहीं, बल्कि सभी समर्थकों की है। प्रशासन ने जन समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया है। आर.के. आरतियन ने कहा कि यदि प्रशासन अपने वादे पूरे नहीं करता है, तो वे फिर से आंदोलन करने के लिए तैयार हैं।