नई दिल्ली। गांधीनगर की सेशन कोर्ट ने आसाराम को शिष्या के साथ दुष्कर्म करने और उसे बंधक बनाने के मामले में दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है। जिस शिष्या ने आसाराम पर केस दर्ज करवाया था, उसकी बहन ने ही नारायण साईं पर भी दुष्कर्म का केस दर्ज करवाया था। आसाराम के खिलाफ दुष्कर्म का यह मामला 2013 में दर्ज हुआ था। पीडि़ता के साथ दुष्कर्म 2001 से 2006 के बीच हुआ था।
गांधीनगर की एक अदालत में अभियोजन पक्ष ने मंगलवार को दावा किया कि आसाराम बापू ”आदतन अपराधीÓÓ है और उसने स्वयंभू बाबा पर भारी जुर्माना लगाने के साथ उम्रकैद की सजा सुनाने का अनुरोध किया।
आसाराम बापू को 2013 में एक पूर्व महिला अनुयायी द्वारा दर्ज कराए दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिया गया था। विशेष लोक अभियोजक आरसी कोडेकर सत्र अदालत के न्यायाधीश डी के सोनी ने सजा पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनी और अंतिम आदेश दोपहर साढ़े तीन बजे के लिए सुरक्षित रख लिया।
अभी जिस मामले में आसाराम को दोषी माना गया है, उसकी एफआईआर 2013 में अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में दर्ज करवाई गई थी। एफआईआ के मुताबिक, पीडि़त महिला के साथ अहमदाबाद शहर के बाहर बने आश्रम में 2001 से 2006 के बीच कई बार दुष्कर्म हुआ था। आसाराम (81) अभी जोधपुर की एक जेल में बंद है जहां वह राजस्थान में 2013 में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
गांधीनगर की सेशन कोर्ट ने साल 2013 में एक महिला से दुष्कर्म के मामले में आसाराम बापू को दोषी ठहराया। आसाराम बापू ने साल 2001 से 2006 के बीच महिला शिष्या के अहमदाबाद के मोटेरा स्थित आश्रम में रहने के दौरान कई बार दुष्कर्म किया था।
अभियोजक कोदेकर ने कहा कि आसाराम ने जो अपराध किया है, उसमें उम्रकैद या फिर 10 साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन हमने मांग की थी कि आसाराम ऐसे ही एक अन्य मामले में जेल में सजा काट रहा है और आदतन अपराधी है। ऐसे में अभियोजक ने आसाराम को सख्त सजा देने और भारी जुर्माना भी लगाने की मांग की थी।
गांधीनगर की सेशन कोर्ट ने आसाराम के खिलाफ सोमवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और आईपीसी की धारा 376 , 377, 342, 354, 357 और 506 के तहत दोषी पाया। कोर्ट ने महिला से दुष्कर्म के मामले में छह अन्य आरोपियों, जिनमें आसाराम की पत्नी लक्ष्मीबेन, उनकी बेटी और चार अन्य शिष्यों को बरी कर दिया है।
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