अवधनामा संवाददाता
दूर दूर से मेले में आते हैं दुकानदार,
2जून तक अनवरत जारी रहेगा मेले का आयोजन
मड़ावरा (ललितपुर)। तहसील मड़ावरा अंतर्गत कस्वा मड़ावरा का पड़ौसी गांव जो की पुरातन विधा राई नृत्य के लिए तो प्रसिद्ध है ही साथ ही यहाँ प्रतिवर्ष लगने वाला मोती महराज का मेला भी देश के कोने कोने में विख्यात है हालांकि कोरोना काल के चलते बीते 2वर्ष मेले का आयोजन न हो सका, किन्तु गत वर्ष मेले का आयोजन बड़े ही हर्षोल्लास के साथ किया जा रहा है। ग्राम पंचायत रनगांव व मेला समिति तो पूर्ण मनोभाव से तैयारियां कर ही रही है। साथ ही क्षेत्राधिकारी मड़ावरा केशवनाथ के दिशा निर्देश व प्रभारी निरीक्षक प्रेमचंद्र के नेतृत्व में पुलिस भी मेले की सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मेले की व्यवस्थाओं को सुगम व सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से क्षेत्राधिकारी मड़ावरा व प्रभारी निरीक्षक द्वारा मेला समिति के साथ लगातार व्यवस्थाओं का जायजा लिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कस्वा मड़ावरा का पड़ौसी गांव रनगांव जो कि पुरातन काल से ही राई नृत्य के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहां की नचनारी (नृत्यांगनाएं) वर्षो पहले तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के द्वारा पुरुष्कार भी पा चुकीं हैं। यहां मेले परिसर में बने भव्य मंदिर में विराजमान मोती महराज पर क्षेत्रीय जनमानस की गहरी आस्था है। लोगों की मोतीझरा रोग सहित कई समस्याएं तो मंदिर की सीढिय़ां चढ़ते ही समाप्त हो जाती है। बुजुर्ग कहते हैं कि इस मंदिर पर झूठी कसम खाने वाले को अवश्य ही परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जिसके कि साक्षात प्रमाण भी मौजूद हैं जिसमें किसी भी चोरी या अन्य किसी मामले में मंदिर के दर पर आकर झूठी खाने पर अंगभंग होना या आंखों से अंधा होना प्रमुख है।
दो जून तक मेले में उमड़ेगी भारी भीड़
नवमी तिथि से प्रारंभ होने वाले इस मेले में देश के कोने कोने से आने वाले दुकानदार अपनी दुकानें लगाते हैं जिसमें घरेलू जरुरति समान, महिलाओं के लिए श्रृंगार सामग्री के साथ ही बच्चों के मनोरंजन के लिए झूला, मौत का कुआं व सर्कस प्रमुख आकर्षण रहते हैं। साथ ही ग्रामीणों द्वारा उक्त मेले से खाद्य सामग्री जैसे मिर्च, धना, नमक आदि की भी खरीदी कर ली जाती है। पूर्वकाल में यह मेला जानवरों की बिक्री के लिए प्रसिद्ध रहा, लेकिन वर्तमान में खेती आदि में मशीनरी का उपयोग बढ़ जाने के चलते अब जानवरों की बुरी हालत हो गयी है। इसलिये अब जानवरों का बाजार लगना भी बंद हो चुका है।
बारिस और आंधी से भी जूझना पड़ता है दुकानदारों को
मई माह के आखरी सप्ताह में आयोजित होने वाले मोती महराज मेले में आने वाले दुकानदारों को सात दिवसीय मेले के दौरान अक्सर आंधी और तूफान बारिस आदि प्राकृतिक आपदाओं से भी जूझना पड़ता है, जिसके चलते कभी कभी तो कई दुकानदारों को अपना खर्च भी निकलना मुश्किल हो जाता है। साथ ही नुकसान हो जाये वो कोढ़ और कोढ़ में खाज का काम कर जाता है। चूंकि मेले का आयोजन ग्राम पंचायत और मेला समिति द्वारा किया जाता है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था के अलावा अन्य कोई प्रशासनिक सहयोग या सुबिधा बाहर से आने वाले दुकानदारों को नहीं मिल पाती, जिससे छोटे छोटे दुकानदारों को न चाहते हुए भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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कैप्सन- रनगांव में स्थित भगवान का भव्य मंदिर
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