चोपन में न्यायिक प्रक्रिया से अभिलेख दुरुस्त कराये रेलवे

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अपर जिलाधिकारी सोनभद्र
जब तक अभिलेख दुरुस्त न हो तब तक नोटिस एवं अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रहेगी रोक
समस्या को लेकर *जिलाधिकारी* गंभीर,
 संबंधित पक्षों के बीच हुई बैठक
सुरेश यादव (अवधनामा संवाददाता)
चोपन/सोनभद्र नगर परिक्षेत्र में *रेलवे* बनाम *स्थानीय निवासियों* के भूमि स्वामित्व सम्बंधित विवाद को चोपन व्यापार मंडल की शिकायत पर जिला प्रशासन ने गम्भीरता से लेते हुए इसके न्यायोचित समाधान की पहल की है।
गौरतलब है कि स्थानीय निवासियों की नींद उड़ा चुके इस मामले के संदर्भ में *राज्य सभा सांसद रामसकल* जी के नेतृत्व में चोपन उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष *संजय जैन,* भाजपा जिला महामंत्री राम सुंदर निषाद,मंडल अध्यक्ष *सुनील सिंह एवं अधिवक्ता अमित कुमार सिंह* आदि ने जिलाधिकारी सोनभद्र से मिलकर उन्हें जनहित में एक पत्रक सौंपा था जिसमें कहा गया था कि रेलवे प्रशासन चोपन प्रीतमनगर क्षेत्र की अधिकांश आबादी को रेलभूमि पर अतिक्रमणकारी मानते हुए बेदखली हेतु अवैध तरीके से नोटिस दर नोटिस जारी कर भयादोहन कर रहा है जबकि रेलवे के अपने कागजात दुरुस्त नही है। रेलवे तमाम लोगों की बैनामा रजिस्ट्री शुदा जमीनों को रेल भूमि बता रहा है। रेलवे की इस एकतरफा कार्यवाही से नगर में जन आक्रोश है और शांति भंग का खतरा बना हुआ है। बताते चलें कि जिलाधिकारी महोदय ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए न्यायोचित कार्रवाई का विश्वास दिलाया है, जिससे लोगों में न्याय की उम्मीद जगी है।
अब इस प्रकरण पर गंभीर हुए जिलाधिकारी के निर्देश के बाद प्रशासन की पहल पर अपर जिला अधिकारी सोनभद्र सहदेव कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में बीते दिनों रेलवे के अधिकारियों के साथ व्यापार मंडल के प्रतिनिधियों की एक बैठक आयोजित की गई। इसमें रेल अधिकारियों एवं व्यापार मंडल के प्रतिनिधियों ने अपना अपना पक्ष रखा।
# बैठक में रेल अधिकारियों ने
    रखा अपना पक्ष
बैठक में पूर्व मध्य रेलवे चोपन के सहायक मंडल अभियंता ओंकार आशीष एवं सेक्शन अभियंता चोपन रतन शंकर उपस्थित थे। रेलवे का पक्ष रखते हुए रेल अधिकारियों ने रेलवे द्वारा वर्ष 1959 से 1964 तक चोपन में स्थित अधिग्रहित भूमि का नक्शा एवं गजट नोटिफिकेशन दिखाया। रेल अधिकारियों ने स्वीकार किया कि रेलवे द्वारा अभी तक अधिग्रहित भूमि पर नामांतरण की कार्यवाही पूर्ण रूप से प्रतिपादित नहीं हो पाई है और 1964 के बाद चोपन दो बार सर्वे प्रक्रिया को पूर्ण कर चुका है। जिस दौरान स्थानीय लोगों द्वारा सर्वे प्रक्रिया में रेलवे द्वारा अधिग्रहित भूमि पर अपना स्वामित्व /खतौनी आदि बनवा ली गई है और कुछ लोग बगैर खतौनी के ही रेलवे की भूमि पर घर मकान आदि बनवा चुके हैं।
#  चोपन व्यापार मंडल प्रतिनिधियों ने रखा अपना पक्ष
बैठक में जनहित में रहवासियों का पक्ष रखते हुए व्यापार मंडल प्रतिनिधियों ने कहा कि चोपन प्रीत नगर के स्थानीय निवासियों के नाम सर्वे प्रक्रिया के दौरान जो अभिलेख/ खतौनी उनके नाम हुए हैं वह माननीय सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में गठित सर्वे एजेंसी,सहायक अभिलेख अधिकारी, सहायक जिला जज के विभिन्न न्यायालयों में विधिवत रेलवे को प्रतिवादी/ अपीलकर्ता बनाते हुए गुण दोष के आधार पर निर्णित किए जा चुके हैं। 40 वर्षों से घर मकान बनाकर रह रहे लोगों को अब रेल अधिकारियों द्वारा बिना पत्रांक एवं अराजी नम्बरों का उल्लेख किए बिना नोटिस बांटकर परेशान किया जाना कदाचित उचित नहीं है।
बैठक में अपर जिलाधिकारी सोनभद्र सहदेव कुमार मिश्र ने रेल अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि दो बार पूर्ण हो चुकी सर्वे प्रक्रिया के दौरान जो पुराने नंबर से नया नंबर बना ऐसे आराजी नंबर जिस पर स्थानीय लोगों की खतौनी बन चुकी है उसे न्यायिक प्रक्रिया के तहत दुरुस्त कराते हुए ही अग्रिम कार्यवाही अमल में लाई जाए। न्यायालय निर्णय से आच्छादित आराजी व रकबा तथा वर्तमान न्यायिक विवाद (यदि कोई हो तो) में लंबित प्रकरण का गाटा वार रकबा इत्यादि को उपलब्ध कराया जाए। जब तक सभी वाद ग्रस्त अराजियों का अभिलेख जांच /सत्यापन नहीं हो जाता तब तक उन्हें नोटिस निर्गमन व अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही अवरोध रखी जाए ।जिससे जनपद में शांति व कानून व्यवस्था बनी रहे। अधिकारियों को राजस्व ग्राम चोपन, सिंदुरिया ,बर्दिया में रेलवे द्वारा विभिन्न समय अंतराल पर अधिग्रहित कुल रेल भूमि के संबंध में आवश्यक गजट नोटिफिकेशन सहित वांछित अभिलेखों को आगामी बैठक के पूर्व प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए। व्यापार मंडल के प्रतिनिधियों को भी इस संदर्भ में आगामी बैठक के पूर्व विभिन्न न्यायालयों में निर्णित किए गए आदेशों की प्रतियां गाटावार प्रस्तुत किए जाने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे यथोचित अग्रिम कार्यवाही अमल में लाई जा सके।
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