एस.एन.वर्मा
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क्वाड की बैठक शुरू होने से पहले 13 देशों के बीच एक कारोबारी समझौता हुआ। इन्डो पैसफिक इकनामिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) के रूप में पहल इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रमता पर अंकुश लगाने का काम करेगा। क्वाड का परिप्रेक्ष बहुत बड़ा होगा।
2004 में हिन्द महासागर में सुनामी आई। उसकी तबाही से प्रेरित होकर तटीय देशों की मदद के लिये क्वाड की शुरूआत हुई। 2007 मे जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्वाड को औपचारिक आकार देने की कोशिश की थी। पर आस्टेªलियो को डर था कि अगर चीन के खिलाफ आक्रमकता बढ़ेगी तो चीन के साथ उकसे हितों को नुकसान पहुंचेगा। इसलिये क्वार्ड आकार नहीं ले सका। 2017 में अस्टेªलिया इस डर से बाहर निकला पर उसी समय करोना आ गया पूरी दुनिया उससे निपटने में मशगूल हो गई।
अब जबकि क्वाड की बैठक टोकियो में आयोजित हुई। क्वाड बैठक से एक दिन पहले क्वाड के नेताओं ने हिन्द प्रशान्त आर्थिक समूह (आईपीईएफ) की शुरूआत की। इसका उद्देश्य टिकाऊ विकास हासिल करने के लिये हिन्द प्रशान्त क्षेत्र को मुक्त समावेशी, एक दूसरे से जुड़े हुये सुरक्षित रखना है। इस क्षेत्र में चीन अनैतिक व्यापार नीतियां लागू कर आर्थिक बल प्रयोग कर रहा है। इस क्षेत्र में चीन बेहद आक्रामक ढंग से विस्तारवादी नीतियां बढ़ा रहा है। ज़ाहिर है चीन को आईपीईएफ कड़ी चेतावनी लगा होगा। चीन के विदेश मंत्री ने कहा भी कि चीन क्षेत्रीय सहयोग के खिलाफ नहीं है पर समूह विभाजन और टकराव पैदा करने का प्रयास है।
क्वाड ने हिन्द प्रशान्त क्षेत्र में अवैध मछली पकड़ने की जांच में भी भाग लेने का निर्णाय लिया है। यहां 95 प्रतिशत अवैध मछली पकड़ने के लिये चीन जिम्मेदार है। यह वैश्विक मछली भन्डार की लूट लाखों लोगों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा के लिये खतरा है।
अवैध मछली पकड़ने की जांच के लिये इस क्षेत्र में भारत, सिगापुर और प्रशान्त क्षेत्र मौजूदा निगरानी क्षेत्रांे को जोड़ने के लिये उपग्रह क्षेत्र में सहयोग हिन्दप्रशान्त क्षेत्र में शान्ति और स्थिरता दे रहा है। क्वाड देशों को प्रतिकूल परिस्थितियों में समन्वय पर मोदी ने जोर दिया।
क्वाड फेलोशिय लान्च की गई। यह स्कालर शिप है सदस्य देशों के लिये। सदस्य देशों के वैज्ञानिकों और तकनीकविदों की अगली पीढ़ी के बीच सम्बन्ध बनाने के लिये तैयार किया गया है। फेलोशिप के अन्तर्गत हर वर्ष हर क्वाड देश के 25 क्षात्रों को अमेरिका के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इन्जीनीयरिंग, गणित, विश्वविद्यालयों में परास्नातक और डाक्टरेट की डिग्री उपलब्ध करने की मौका देगी।
अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी की ताइवान पर उसे कब्जा़ करने नहीं देगा अगर चीन जबरदस्ती करेगा तो अमेरिका सेना के माध्यम से जवाब देगा। यूक्रेन से जादा ताइवान के लिये करेगा। साझा घोषणापत्र में सदस्य देशों ने हिन्द प्रशान्त क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास के लिये पांच साल में पंचास अरब डालर आवंटित करने का संकल्प लिया। साथ ही इस क्षेत्र मे ताकत के बल पर यथास्थिति बदलने के खिलाफ भी संकल्प लिया गया। दक्षिण और पूर्व चीन सागर के सैनीकरण के खिलाफ भी चेतावनी दी गयी।
दूसरे दिन अमेरिका राष्ट्रपति और जापान व आस्टेªलिये के प्रधानमंत्री से मोदी ने द्विपक्षीय चर्चा की। बाइडन और किशिदा ने कोविड से निपटने में भारत के भूमिका की सराहना की। आस्टेªलिया के प्रधानमंत्री ने भारत से अपने रिश्ते को महत्वपूर्ण बताया।
यूक्रेन पर हमले के बाद ऐसा लगा हिन्द प्रशान्त ठन्डे बस्ते में चला गया। लेकिन मोदी ने इसके उपयोगिता पर बैठक में प्रकाश डाला। फलस्वरूप टोकियों में हुये क्वार्ड बैठक से यह सन्देश दूर-दूर तक गया कि दुनियां की प्रमुख लोकतान्त्रिक शक्तियां इस क्षेत्र के स्थिति के बारे में चिन्तित और सतर्क है। शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों ने यूक्रेन को लेकर भारत द्वारा अपनाये गये रूख की तारीफ की। इस सम्मेलन से यह सन्देश निकला कि सदस्य देशों को हिन्द प्रशान्त क्षेत्र की चिन्ता उेद्वलित कर रही है। उनमें एक दूसरे का अनुकूल रूख जानकर उत्साह आया है। जिसका नतीजा होगा कि क्वाड अधिक जीवन्त और उपयोगी बनकर उभरेगी।