अवधनामा संवाददाता
रिसाइक्लिंग के लिए कचरे को करें अलग-थलक : डा.राजीव निरंजन
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली के अनुसार हो कार्ययोजना : पुष्पेन्द्र सिंह चौहान
कूड़ा मुक्त बनाने के सिद्धांतों, व्यावहारिक परिवर्तन के साधनों पर हुई चर्चा
ललितपुर। जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण चन्द्रोदय कुमार के निर्देशानुसार सचिव अक्षयदीप यादव के निर्देशन में नवीन तहसील सभागार में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर एक कार्यशाला संपन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सदर नायब तहसीलदार ललित कुमार पांडेय ने कहा कि प्रतिदिन जनित होने वाले कचरे के निस्तारण की नगर निगम/नगर पंचायत एवं नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने नागरिकों से कहा कि कचरे को यहां वहां न फेंके बल्कि नगर पालिका द्वारा स्थापित किए गए डस्टबिन के अलावा घर घर आने वाली कूड़ा गाड़ी में डालें। कार्यक्रम के अतिथि पर्यावरणविद् डा.राजीव निरंजन ने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सबसे जरूरी है कि स्रोत से ही उसे ठीक से अलग-थलग कर लिया जाए ताकि उसकी उचित रिसाइक्लिंग और फिर से उपयोग हो सके। भारत के केवल तीन राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों केरल, छत्तीसगढ़ व दमन व दीव में 100 प्रतिशत अपशिष्ट स्रोत से अलग-थलग किया जाता है, जिसे सभी राज्य सरकारों को अपनाने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त ग्राम पंचायतों तथा कूड़ा उत्पन्न करने वालों समेत विभिन्न भागीदारों की जिम्मेदारी तय करने एवं उनकी निगरानी करने की आवश्यकता है। पैनल अधिवक्ता पुष्पेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016 के अनुसार कचरे को निम्नलिखित प्रकार से तीन श्रेणियों में अलग करने की जिम्मेदारी इसके उत्पादक की है। गीला (बायोडिग्रेडेबल), सूखा (प्लास्टिक, कागज, धातु, लकड़ी आदि) घरेलू खतरनाक अपशिष्ट (डायपर, नैपकिन, खाली कंटेनर आदि) तथा अलग किये गए कचरे को अधिकृत कचरा बीनने वालों या कचरा संग्रहकर्ता या स्थानीय निकायों को सौंपना। इस दौरान तहसील आने वाले वादकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे व जिला विधि सेवा प्राधिकरण से रोहित राठौर, विकास कुशवाहा उपस्थित रहे।