भ्रष्टाचार के खिलाफ मुंह खोलने की मिली सजा, न्याय मिला न हुई सुनवाई

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अवधनामा संवाददाता

– नगर पंचायत फतेहपुर ईओ ने पत्रकार पर दर्ज करवाया फर्जी मुकदमा
– जज भी कर रहे ईओ की पैरवी, जुर्माना करने से इंकार
बाराबंकी। नगर पंचायत फतेहपुर में व्याप्त भ्रष्टाचार का विरोध करना एक पत्रकार को काफी मंहगा पड़ गया। भ्रष्ट अधिकारी की करतूतों की कलई खुलने से चिढ़े ईओ की शह पर पत्रकार के खिलाफ न सिर्फ फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया। बल्कि ईओ ने अपने रसूख के बल पर सूचना आयोग की न्याय व्यवस्था को भी अपनी ओर मिला लिया। यही वजह है कि जिला स्तर पर जवाब न मिलने व कई अपील के बाद भी सुनवाई न होने पर जब सूचना आयोग में मामला दर्ज हुआ तब वहां के जज ने अड़ियल रवैया अपना लिया, जज का कहना है कि वह किसी अधिकारी पर जुर्माना नही करेंगे, चाहे वह गलत ही क्यों न हो। पीड़ित पत्रकार ने राज्यपाल को पत्र लिखकर अन्यत्र कोर्ट में मामले की सुनवाई किये जाने की मांग की है।
पूरा मामला कुछ यूं है कि नगर पंचायत फतेहपुर अंतर्गत मोहल्ला पचघरा निवासी एवं पत्रकार संजय शर्मा ने नगर पंचायत की ओर से हुए निर्माण कार्य मे किये गए भ्रष्टाचार की कलई खोलते हुए समाचार प्रकाशित किया, जिससे पंचायत कार्यालय में हड़कंप मचा और इससे वहां तैनात ईओ आदित्य प्रकाश काफी चिढ़ गया। इसी चिढ़ के चलते ईओ ने अप्रत्यक्ष रूप से सफाई नायक को आगे कर पत्रकार संजय के खिलाफ एससीएसटी का फर्जी मुकदमा दर्ज करवा दिया। उधर मुकदमा दर्ज होने के बाद भी पत्रकार संजय ने हार नही मानी और जन सूचना के अधिकार का सदुपयोग करते हुए नगर पंचायत में चल रहे भ्रष्टाचार को लेकर बिंदुवार सूचना मांग ली। एक माह बाद भी जवाब न मिलने पर संजय ने प्रथम अपील दायर की, फिर भी जवाब न मिला तो द्वितीय अपील जिला स्तर पर की। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे अफसरों ने ईओ फतेहपुर का पक्ष लेते हुए कोई जवाब नही दिया। इसके बाद संजय शर्मा ने तीसरी अपील सूचना आयोग में की, जिसका केस नम्बर ए 170012 है। इस केस की सुनवाई तिथि 12 मई 2022 को कोर्ट संख्या 9 में जज प्रमोद कुमार तिवारी के समक्ष लग गई। जज भी अपने व्यवहार व जवाब से ईओ के पक्ष में खड़े दिखाई दिए। क्योंकि मांगी गई सूचना का जवाब न देने पर कोर्ट में गुहार लगाने के बाद उम्मीद न्याय की थी पर हुआ ठीक उल्टा। जज के जवाब ने पीड़ित पत्रकार को हक्का बक्का कर दिया, जज प्रमोद तिवारी ने कहा कि वह आज कसम खा कर आये हैं कि किसी अधिकारी पर जुर्माना नही करेंगे, जिसे जो करना है करे। न्यायिक व्यवस्था के अधिकारी से ऐसा जवाब सुनकर पीड़ित बहुत व्यथित हो गया। अब उसे यकीन हो चला कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे ईओ फतेहपुर की जड़े काफी गहरी है। शायद न्याय व्यवस्था अपनी जेब मे रखने का ढंग से आता है। फिलहाल पीड़ित पत्रकार संजय शर्मा ने सूबे की राज्यपाल को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण से अवगत कराया है वही मांग की है कि केस संख्या ए 170012 कोर्ट संख्या 9 से हटाते हुए अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए, जिससे न्याय हासिल हो सके। कोर्ट संख्या 9 से न्याय मिलने की उम्मीद समाप्त हो गई है।
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