श्री सुहैब अंसारी ने कहा कि इस बिल को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। यह देश सभी का है। विधेयक हमारे संवैधानिक मूल्यों पर हमला है। समानता हमारा मौलिक अधिकार है। धर्म के आधार पर भेदभाव असंवैधानिक है।
एएमयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मशकूर अहमद उस्मानी ने कहा कि सीएबी पूरी तरह से असंवैधानिक है।
यह संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करता है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का भी उल्लंघन है जो सभी को यह अधिकार देता है कि किसी को भी धर्म, आयु, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
डॉ. सबीहा फातमा ने कहा कि CAB का एकमात्र उद्देश्य भारत के मुसलमानों को दरकिनार करना प्रतीत होता है और मैं इसका कड़ा विरोध करती हूँ।