उद्यमियों को बढ़ावा देना और जीवन में बदलाव लाना

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नई दिल्ली। तमिलनाडु के कोयंबटूर के सीनाइचन पलायणम गांव के रहने वाले धर्मराज त्यागराजन ने कभी भी उद्यमी बनने के बारे में नहीं सोचा था। अब, वह मोबाइल रोबोटिक्स, ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) पर ध्यान केंद्रित करते हुए डॉटवर्ल्ड टेक्नोलॉजीज चलाते हैं। यह सब कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के तत्वावधान में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा आयोजित एक कौशल प्रतियोगिता के कारण संभव हुआ है।

2015 में, उन्होंने वर्ल्डस्किल्स में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 9वाँ स्थान हासिल किया और बाद में कैंपस इंटरव्यू के माध्यम से एक प्रोफेशनल जॉब में जाने का निर्णय लिया। 2018 में, उन्होंने डॉटवर्ल्ड टेक्नोलॉजीज के साथ उद्यमिता में अपना कदम आगे बढ़ाया। धर्मराज ने कोयंबटूर के श्री कृष्णा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।

वर्ल्डस्किल्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला वह सिर्फ अकेला नहीं है। इंडियास्किल्स प्रतियोगिता एक प्रतिस्पर्धा से आगे बढ़कर हमारे प्रशिक्षण मानकों (स्टैंडर्ड) को ग्लोबल बेंचमार्क के साथ संरेखित करने की प्रतिबद्धता है। फ्रांस के ल्योन में 2024 में आयोजित होने वाली विश्व कौशल प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लक्ष्य के साथ प्रतिभागियों को जिला, राज्य, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर एक चुनौतीपूर्ण चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।

इंडियास्किल्स का 2023-2024 संस्करण अभी शुरू हुआ है और स्किल इंडिया डिजिटल वेबसाइट पर पंजीकरण शुरू हो गया है।

अपना अनुभव साझा करते हुए धर्मराज त्यागराजन कहते हैं कि, “वित्तीय बाधाओं का सामना करने से लेकर वर्ल्डस्किल्स में 9वाँ स्थान हासिल करने तक की मेरी यात्रा परिवर्तनकारी रही है। प्रतियोगिता में भाग लेने से मेरे कौशल में वृद्धि हुई और अपने करियर को प्रोफेशनल रूप में आगे बढ़ाने के अनेक अवसर मिले। मेरे लिए हर चुनौती एक सीढ़ी रही है और उसे पार करते हुए मैंने आज एक अमूल्य उपलब्धि हासिल की है। आज मैं दृढ़ता और जुनून के साथ किसी के भविष्य को सुनहरा बनाने में विश्वास करता हूँ।”

इसी तरह, वरद पाटिल ने 2013 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग एडेड डिजाइन (एमसीएडी) श्रेणी में कौशल उत्कृष्टता के लिए एक वैश्विक मानक, वर्ल्डस्किल्स प्रतियोगिता में भाग लिया। वहाँ से आज तक, द शार्क टैंक के दूसरे संस्करण में अपने सहयोगियों के साथ दिखाई देने वाले, वरद ने निश्चित रूप से एक लंबा सफर तय किया है।

उनकी संस्था, आयुसिंक- एक आईआईटी बॉम्बे स्टार्टअप है, जिसे हाल ही में एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स की सीएफओ नमिता थापर से 3.5% इक्विटी के लिए 1.5 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली है।

वराद इंडियास्किल्स और वर्ल्डस्किल्स प्रतियोगिता की सराहना करते हैं क्योंकि उन्हें एहसास है कि अनेक युवा, अपने टैलेंटेड माइंड से अपने कौशल का प्रदर्शन कर अपने जीवन में अभूतपूर्व बदलाव ला सकते हैं।

वह सक्रिय रूप से इंडियास्किल्स उम्मीदवारों के संपर्क में रहते हैं और उन्हें वर्ल्डस्किल्स प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रशिक्षित करते हैं।

उत्तराखंड के रुद्रपुर में महिमा गांधी मेकअप एंड नेल स्टूडियो की संस्थापक महिमा गांधी के लिए, यह आत्म-विश्वास से कहीं अधिक था। उन्होंने वर्ल्डस्किल्स 2019-20 में भाग लिया, जहाँ न केवल उनके कौशल को एक नई पहचान मिली बल्कि इससे उनमें आत्मविश्वास भी पैदा हुआ।

2021 में, कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बीच, एक साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से आने वाली महिमा ने वास्तविक जीवन की स्थितियों में कौशल की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए, रुद्रपुर में अपना मेकअप स्टूडियो स्थापित किया। इस दौरान महिमा को एक अतिरिक्त चुनौती का सामना करना पड़ा।

महिमा की बी.कॉम पास के लिए अंतिम परीक्षा उसी दिन थी, जिस दिन इंडियास्किल्स में उसकी नेशनल परीक्षा थी। इसके बावजूद, महिमा ने इंडियास्किल्स को प्राथमिकता दी और उसमें प्रथम स्थान प्राप्त किया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर गर्व से भारत का प्रतिनिधित्व किया।

इसी तरह, 27 साल के मोहित डुडेजा की कहानी थोड़ी अलग है। दिल्ली में कॉलेज छोड़ने के बाद, उन्होंने बेंगलुरु में बेकिंग साइंस और पेस्ट्री आर्ट्स में डिप्लोमा किया।

मुंबई के एक निजी होटल में छह महीने की इंटर्नशिप के दौरान, उनकी यात्रा में एक परिवर्तनकारी मोड़ आया, जहाँ उन्होंने गहनता से वर्ल्डस्किल्स के बारे में सीखा। उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लिया और अब वह सोनीपत में एक चैनल 9 पेटिसरी, एक बेकरी और एक केक की दुकान के मालिक हैं। यह दुकान उनके समर्पण और अथक प्रयासों के प्रमाण के रूप में निरन्तर आगे बढ़ रही है।

इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए, मोहित डुडेजा कहते हैं कि, “इंडियास्किल्स के माध्यम से मेरी यात्रा एक प्रतियोगिता से कहीं अधिक है और यह एक परिवर्तनकारी अध्याय है जिसने मुझे आगे बढ़ने की एक नई राह दिखाई है। दिल्ली में पढ़ाई छोड़ने से लेकर बेंगलुरु में एकेडमी तक हर कदम ने मुझे चुनौती के लिए तैयार किया है।” वर्ल्डस्किल्स वह कैनवास बन गया जहाँ कौशल का जुनून से मिलन हुआ। मेरा अनुभव सिर्फ जीतने या हारने तक ही सीमित नहीं था बल्कि तेजी से आगे बढ़ने के बारे में भी था।”

वरद, महिमा, धर्मराज और मोहित सिर्फ सफलता की कहानियाँ नहीं हैं। वे एक सफल उद्यमों के निर्माण में कौशल के प्रभाव का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।

जैसे ही पंजीकरण शुरू होता है, यह देश भर के लोगों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने और एक ऐसी यात्रा पर निकलने का खुला निमंत्रण है जहाँ कौशल उन्हें सफलता की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक बन जाता है। इंडियास्किल्स में, हम एक-एक करके लोगों के सपनों को हकीकत में बदलते हुए देखते हैं।

इंडियास्किल्स 2023-24 सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं है; यह हमारे राष्ट्र की धड़कन को प्रतिबिंबित करने वाली एक प्रैक्टिकल यात्रा भी है।

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