अवधनामा संवाददाता
जुलूस संपन्न होने के बाद गौरी खालसा पहुंची पुलिस प्रशासन
हरदोई। कर्बला की जंग में अपने 72 साथियों के साथ शहीद हुए नवासा-ए-रसूल इमाम हुसैन और शहीदाने करबला की याद में मनाया जाने वाला चेहल्लुम का जुलूस शुक्रवार को गौरी खालसा में निकाला गया। जुलूस में अलम और ताजिये निकाले गए। इस्लामिक वर्ष के पहले माह मोहर्रम की 10 तारीख को कर्बला की जंग में नवासा- ए-रसूल इमाम हुसैन व उनके ७१ साथियों के साथ शहीद कर दिया गया था। इसी क्रम में शहादते हुसैन के 40 दिन पूरे होने पर शिया मुसलमानों द्वारा चेहल्लुम (चालीसवां) मनाया जाता है। शुक्रवार को गौरी खालसा में चेहल्लुम का जुलूस इमामबाड़ा व दरगाह से निकाला गया। जुलूस इमामबाड़े से शुरू होकर जुलूस मार्ग होते हुए करबला पहुंचा। करबला में पहुंचकर ताजिय़े दफन किए गए और मातमी पुर्सा दिया गया। जुलूस से पूर्व एक मजलिस इमामबाड़े में हुई जिसको आली जनाब मौलाना सैय्यद गुलाम अब्बास नकवी ने खिताब फरमाई। जुलूस में अंजुमन-ए- हैदरी व अंजुमन-ए- मज़लूमिया के नोहेख्वानों ने नोहे पढ़े। इमाम हुसैन का चेहल्लुुम हिंदुस्तान के साथ-साथ संपूर्ण विश्व में चेहल्लुुम (चालीसवा) का आयोजन किया जाता है।
गौसगंज पुलिस के ठेंगे पर शासन व प्रशासन का आदेश
चेहल्लुम मुसलमानों के कैलेंडर के मुताबिक सफर के महीने की 20वीं तारीख को पड़ता है। लेकिन पुरानी रीत रेवाज के चलते गौरी खालसा में २१ सफर को चेहल्लुम का जुलूस निकाला जाता है। पुलिस प्रशासन चेहल्लुम का जुलूस संपन्न होने के बाद गौरी खालसा पहुंचा। सवाल है कि क्या गौसगंज पुलिस जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के आदेश को ठेगें
पर रखती है। क्योंकि प्रशासन का आदेश था कि चेहल्लुम का जुलूस व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी त्यौहार पर शांति व्यवस्था बनाए रखें। जब पुलिस जुलूस में पहुंची ही नहीं तो शांति व्यवस्था क्या बनाती। जुलूस लगभग ५:३० पर करबला पहुंच गया था गौसगंज पुलिस ६: ०० बजे पहुंची।