निजी गौशाला बना चर्चा का विषय

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अवधनामा संवाददाता

बिना सरकारी सहायता हो रही है छुट्टा जानवरों की सेवा

हैदरगंज अयोध्या। जनपद अयोध्या के जाना बाजार के एक गांव में दो सगे भाई इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए है । दोनों भाई खुद की गौशाला बनाकर छुट्टा गोवंशों को 8 वर्षों से आश्रय देते हुए देखभाल में लगे है । बताया गया है कि दोनों भाइयों द्वारा बिना किसी सहायता के ही इसकी शुरुआत पांच छुट्टा गोवंश से किया गया था । जो आज छोटे से बड़े 2 दर्जन से ज्यादा छुट्टा गोवंश गौशाला में पालतू गोंवंशो की तरह रह रहे हैं । दोनों भाइयों द्वारा चलाई जा रही इस गौशाला में गोवंशों की बढ़ोतरी दिन बा दिन हो रही है । खासकर क्षेत्र में इधर-उधर घायल अवस्था में घूम रहे छुट्टा गोवंश की जानकारी होने पर दोनों भाई उन्हें अपनी गौशाला पर लाकर देखभाल कर पालतू गोवंशों की तरह ही सेवा में लगे हुए है । इन्हे चार गोवंश का सरकारी अनुदान भी सरकार द्वारा दोनों भाइयों को प्राप्त हो रहा है ।
दोनों भाई विकासखंड तारुन के अंतर्गत जाना बाजार के मजरे लौटन लाल का पुरवा गांव निवासी जगदंबा प्रसाद तिवारी उर्फ गाड़ीवान और शिवकुमार तिवारी है । जाना ग्राम सभा में 35 गोवंश के लिए सरकारी सहायता प्राप्त गौशाला होने के बावजूद भी गोवंश की देखभाल पर सवाल उठाए है । तो वही मात्र डेढ़ किलोमीटर पर स्थित दोनों तिवारी बंधुओं की गौशाला में 25 से ज्यादा छुट्टा गोवंश पालतू गोवंश की तरह रह रहे हैं । इसकी शुरूआत दोनों भाइयों ने वर्ष 2015 से घायल अवस्था में घूम रहे 5 छुट्टा गोवंश को अपनी छोटी गौशाला में आश्रय देकर देखभाल कर शुरू किया था । जो धीरे-धीरे 2017 में गोवंशों की संख्या 10 तक पहुंच गई । इसी बीच उन्हें अनुदान स्वरूप 4 गोवंश का सरकार द्वारा अनुदान राशि भी मिलने लगी । थोड़ा अनुदान मिलते ही दोनों भाइयों का मनोबल बढ़ गया । उन्होंने इधर-उधर लावारिस हालत में घूम रहे अन्य गोवंश को भी अपनी गौशाला में लाकर सेवा में लगे है । इसी तरह आज दोनों भाइयों के बीच 25 से ज्यादा गोवंश मौजूद है । गौशाला में लगे एक इंडिया मार्का हैंडपंप के सहारे दोनों भाई मौजूद गोवंशों को पानी पिलाने के लिए पारी पारी घंटे भर मेहनत करते हैं । जो प्रतिदिन दिनचर्या में सामिल है । वही सुबह 10 बजे के उपरांत बड़े भाई जगदंबा प्रसाद तिवारी सभी गोवंश को बगल विशुही नदी पर बने चपर घटा पुल के पास प्रतिदिन चराने के लिए ले जाते हैं । नदी तक आने जाने के दौरान रास्ते में पड़ रहे किसान के खेतों को सभी गोवंश बिना नुकसान करें ही प्रतिदिन आते जाते हैं । शिवकुमार तिवारी ने बताया कि उनके पास मौजूदा समय में 25 से ज्यादा गोवंश हैं और इनमें सिर्फ 4 गोवंश का ही उन्हें अनुदान मिलता है । जबकि गोवंशों के लिए भूसा, हरे चारे की व्यवस्था वे स्वयं करते हैं । यही गोवंशों के बीमार होने पर घरेलू इलाज कर उन्हें जल्द स्वस्थ कर दिया जाता है । ज्यादा बीमार होने पर पशु चिकित्सक से भी सहायता ली जाती है । गोवंशो को नहलाने के लिए कुछ दूरी पर स्थित तालाब में ले जाया जाता है । इतनी तादाद में मौजूद गोवंशों को एक हैंडपंप के सहारे पानी पिलाने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है ना तो उनके पास ट्युवबेल है ना ही समरसेबल की व्यवस्था । इसके बावजूद भी सभी गोवंशों की कुशलता पूर्वक देखभाल किया जा रहा है । हमें याद है लगभग 8 वर्ष पूर्व फसलों को नुकसान करने पर किसानों द्वारा मारे पीटे गए गोवंशों को घायल अवस्था में देखकर हम दोनों भाइयों का मन द्रवित रहता था । जिसके बाद दोनों भाइयों ने यह फैसला लिया कि हम अब ऐसे घायल और बेजुबान गोवंश के लिए आश्रय स्थल बनाएंगे और और हमने कर दिखाया । आसपास के गांव में स्थित सरकारी गौशालाओं में लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी गोवंशों के मरने का सिलसिला कम नहीं हो रहा है । परंतु उनके द्वारा पाले गए सभी गोवंश आज भी स्वस्थ हैं और एक भी गोवंश की मृत्यु नहीं हुई है । सरकार जितनी सुविधा और अनुदान सरकारी गौशालाओं को प्रदान कर रही है उसका आधा भी अगर उन्हें अनुदान प्राप्त हो जाए तो क्षेत्र में इधर-उधर घूम रहे सभी गोवंश को लाकर अपनी गौशाला में अच्छे से देखभाल करने में दोनों भाई सक्षम है । इस संबंध में पशु चिकित्सा अधिकारी तारुन डॉ लालमणि ने बताया कि प्राइवेट गौशाला के लिए गौ सेवा आयोग में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है । अन्यथा की स्थिति में गौशाला से ग्रामीण गोवंश लाकर पाल सकता है जिस पर उसे अनुदान भी मिलेगा । एक ग्रामीण सिर्फ चार गोवंश प्राप्त कर सकता है ।

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