महिला असप्ताल से रैफर किये जाने के बाद गर्भवती महिला की रास्ते में एंबुलेंस में ही हुई मौत

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अवधनामा संवाददाता

पति ने जिला महिला चिकित्सालय के जिम्मेदारों पर लगाया लापरवाही का आरोप
महिला की मौत के बाद शव भेजा पोस्टमार्टम गृह

ललितपुर। जहां एक ओर प्रदेश सरकार में उत्तर प्रदेश के चार अच्छे अस्पतालों को बेस्ट अवार्ड से नवाजा है , जिसमें जनपद ललितपुर का नाम भी शामिल है । तो वहीं दूसरी ओर जनपद ललितपुर के जिला महिला चिकित्सालय में वह सुख सुविधाएं है ही नहीं जो वहां आए हुए मरीजों और गर्भवती महिलाओं को मिलनी चाहिए। जिस कारण जिला महिला चिकित्सालय का अस्पताल हमेशा से ही रैफर सेंटर के नाम से सुर्खियों में रहा है। सबसे बड़ी बात है कि यहां पर तैनात स्टाफ पर हमेशा ही अवैध रूप से पैसे मांगने और लापरवाही बरतने के आरोप लगते रहे हैं। जो प्रदेश सरकार को आईना दिखाने के लिए काफी है। जिला महिला चिकित्सालय में मौजूद सुख-सुविधाओं की पोल उस समय खुलती नजर आई, जब 9 माह की गर्भवती महिला परिजनों के माध्यम से प्रसव कराने के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती हुई और उसके बाद उस महिला को गंभीर हालत में झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया । जिसके बाद एंबुलेंस के माध्यम से झांसी मेडिकल कॉलेज ले जाते समय रास्ते में ही गर्भवती महिला की मौत हो गई। घटना के संबंध में मृतका के पति ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं । हालांकि मृतक महिला को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सदर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम गनगौरा के मजरा गुजरातन निवासी महेंद्र सिंह ने अपनी 25 वर्षीय पत्नी आशा को 9 माह की गर्भवती होने के बाद प्रश्नों के लिए जिला महिला चिकित्सालय में शनिवार को रात्रि करीब 9:00 बजे भर्ती कराया था जहां पर तैनात स्टाफ में उसका चेकअप किया और उसे सुरक्षित प्रसव कराने का भी आश्वासन दिया। लेकिन करीब 10:30 वक्त महिला की बिगड़ती हुई हालत को देखते हुए महिला चिकित्सालय में तैनात डॉक्टरों ने उसे झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया बताया गया है कि जब उसका पति एंबुलेंस के माध्यम से अपनी पत्नी को झांसी मेडिकल कॉलेज लेकर जा रहा था और अभी रास्ते में बबीना के आस पास पहुंचा ही था कि उसकी मौत एंबुलेंस में ही हो गई जिसके बाद एंबुलेंस चालक महिला को लेकर सीधा अस्पताल आ गया और उसके शव को डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया।
मृतका के परिजनों ने बताया कि यह उसका चौथा प्रसव था। इसके पहले उसके यहां एक साथ 3 बच्चे हुए थे जिनमें से किसी को भी नहीं बचाया जा सका था फिलहाल अभी उसके यहां दो बच्चे हैं जिनमें से बड़ी लड़की 8 साल की है और छोटी लड़की 6 साल की है।
इस मामले में मृतक के पति महेंद्र सिंह ने अस्पताल प्रशासन पर घोर लापरवाही करने के आरोप लगाए हैं उसका कहना है कि जब वह अपनी पत्नी को जिला चिकित्सालय लाया था तब वहां पर तैनात स्टाफ ने पहले तो उस पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उसके बाद उसे अस्पताल में डिलीवरी कराने के लिए भर्ती तो कर लिया और सुरक्षित प्रसव कराने का आश्वासन भी दिया लेकिन भर्ती करने के बाद उस पर कोई ध्यान नहीं दिया जिस कारण उसकी हालत बिगड़ गई और उसकी बिगड़ती हालत को देखकर डॉक्टरों ने उसे झांसी रेफर कर दिया था जिसके बाद उसकी रास्ते में मौत हो गई।

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