अवधनामा संवाददाता
अम्बेडकरनगर अम्बेडकरनगर प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम सचिवालय स्थापित करने के लिए निर्मित कराए जा रहे पंचायत भवनों को आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित करने को लेकर शासन गंभीर है। गांव को डिजिटल करने के उद्देश्य से पंचायत सहायकों की तैनाती भी की जा चुकी है।ग्रामीणों को गांव में ही सुविधा उपलब्ध कराने के लिए खोले गए ग्राम सचिवालय आज मात्र दिखावा रह गए हैं। नवनिर्मित पंचायत भवनों में ताला लटक रहा है। ग्राम प्रधान व सचिवों की उदासीनता ग्राम पंचायतों के डिजिटलाइजेशन की राह में बाधा बनी है। इससे ग्रामीणों को योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उन्हें आज भी विभिन्न प्रमाण पत्रों के लिए तहसीलों का चक्कर लगाना पड़ रहा है।ग्रामीणों को आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र से लेकर खसरा-खतौनी निकालने जैसे कार्यों के लिए तहसीलों का चक्कर न लगाना पड़े, साथ ही उन्हें जन्म व मृत्यु का पंजीकरण कराने के लिए भी परेशान न होना पड़े, इसके लिए प्रत्येक गांव में पंचायत भवनों को डिजिटल कर यह सुविधा दिए जाने की योजना संचालित है।शासन ने जहां पंचायत भवनों के निर्माण को लेकर राज्य व वित्त आयोग की धनराशि से पैसा खर्च करने की खुली छूट दी है तो सभी ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायक की नियुक्ति भी की जा चुकी है। उसके बाद भी स्थिति यह है कि अभी तक किसी ग्राम पंचायत में पंचायत भवन को डिजिटल नहीं किया जा सका है। जबकि गत दिवस जिले में आए मुख्यमंत्री द्वारा नवनिर्मित पंचायत भवनों का लोकार्पण भी किया जा चुका है। इसके बाद भी कहीं भवन निर्माण अधूरा हो तो कहीं बनने के बाद से ताला लटक रहा है।पंचायत भवन का निर्माण कार्य पूरा कर ताला लगा दिया गया है। उसमें डिजिटल करने को लेकर कोई व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो सकी है। इससे लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है।ऐसे में ये सचिवालय शासन की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। इस कारण लोगों को सरकारी कामकाज के लिए विकास खंड व तहसील कार्यालयों सहित अन्य विभागों में चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम सचिवालय बनाने का क्या फायदा जब यहां सुविधाएं ही नहीं मिल पा रही।