Sunday, April 28, 2024
spot_img
HomeEditorialपठान फिल्म का जलवा

पठान फिल्म का जलवा

एस एन वर्मा

फिल्म इन्डस्ट्री अपने फिल्मों को लेकर अर्से से कराह रही थी। एक तो कोविड का असर दूसरे फिल्म बनते ही लोगो के अलोचनाओं और बायकाट का शिकार हो रही थी। विरोध में जलूस और नारे तक लगते थे पोस्टर फाडे जा रहे थे। जबकि दक्षिण की फिल्में लगातार कामयाब हो रही थीं। फिल्मों के बारे में विरोध को लेकर प्रधानमंत्री ने भी लोगो को चेताया फिल्मों के बारे में गलत बयानबाजी से नेता और पब्लिक परहेज करे। बालीउड की कुछ फिल्में केवल लोगो के विरोध की वजह से पिट गई।
अब शाहरूख खान की फिल्म पठान ने जलवा दिखाया है। दर्शक फिल्म देखने के लिये टूट रहे है। बाहर टिकट न मिल पाने वाले की लम्बी कतार लगी रहती है। सिर्फ मल्टीप्लेक्स ही नहीं सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमा घर भी फुल चल रहे है। थियेटरों के अन्दर गानो पर लोगो की नाचती गाती तस्वीरे और वीडियो गवाही दे रहे है कि दर्शक फिल्मों की ओर वापस आ गये है। चार साल बाद शाहरूख खान की आई फिल्म ने सफलता के झन्डे गाड़ दिये है। शाहरूख पिछले कई सालों से फ्लाप होे रहे थे। इस फिल्म ने उनकी बादशाहत फिर कायम कर दी। फिल्म ने पहले दो दिनों में ही 122 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली। पिछले बाक्स आफिस पर कमाई से हिट फिल्मो को पीछे छोड़ दिया है। फिल्म की हिरोइन पादुकोड़ और उनके हस्बेन्ड रणवीर सिंह शाहरूख के घार बधाई देने पहुच गये।
फिल्म इन्डस्ट्री बहुत दिनो से निराशा में डूब रही थी फिल्म निर्माण से लोग बच रहे थे। कलाकार फिल्मों को माहौल देख ठुकरा रहे थे। क्योंकि बड़े स्टार वाली फिल्मे लगातार फेल हो रही थी। लोगो के विरोध से पिट रही थी। पठान फिल्म ने सबकी इच्छाओं को पनपा दिया है। फिल्म इन्डस्ट्री जो बिजनेस के लिहाज से सूख रही थी वह हरिया उठी। जैसे सूखे धान पर पानी बरस गया।
फिल्म की वैधता, नैतिकता अन्य पहलुओं को देखने के लिये सेन्सर बोर्ड है। उसमें विद्वान और अनुभवी फिल्मी हस्तियां रहती है। जब सेन्सर बोर्ड ने फिल्म पास कर दिया तो उस पर हल्ला मचाना फिजूल है। फिल्म बनाना बहुत मंहगा सौदा होता है। कुछ लोग इसके खर्च की कल्पना भी नहीं कर सकते। एक फिल्म से कितने लोगो की जीविका चलती है उन्हें पूरी तरह मालुम नहीं है। बहुत ही मंहगा सौदा होता है फिल्म बनाना इसलिये आम लोगो को फिल्म बहिसकार के हथकन्डे से बाज आना चाहिये। उन्हें फिल्म पसन्द नहीं है तो मत देखे पर फिल्म को बरबाद नही करें। फिल्म इन्डस्ट्री के ग्रोथ को नुकसान न पहुचाये। खुद यूपी सरकार फिल्म बनाने वालो को प्रोत्साहित कर रही है उन्हें सहुलियते दे रही है। लखनऊ में फिल्मों की शूटिंग होती रहती है। फिल्म विजनेस के साथ क्रियेटिव आर्ट भी है। इसकी क्षमता हर एक में नहीं होती। जैसे हर आदमी, गायक, मशहूर चित्रकार नहीं बन सकता। आर्ट की हमेशा इज्जत की जाती है। पठान की सफलता के बावजूद भी कुछ जगह प्रदर्शन हो रहे है। पर पठान अवाध गति से चल रही है।
पठान फिल्म ने साबित कर दिया। शहरूख सचमुच बादशाह है। इसी लाइन में सलमान और आमिर भी है।
जहां चहकने लगी है बुलबुल
वहीं हुआ है कमाल ऐसा,
कमी नहीं कद्रदां की अकबर
करे तो कोई कमाल ऐसा

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular