2024 के चुनाव में पसमांदा मुस्लिम अखिलेश को कराएगा अपनी ताकत का एहसास- वसीम राईन

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अवधनामा संवाददाता

बाराबंकी। पीडीए यानी पसमांदा, दलित और अतिपिछड़ा विरोधी सपा पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से ख़ासकर पसमांदा मुसलमानों को जवाब चाहिये। उप्र के जिन 16% पसमांदा मुसलमान वोटों से उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का वजूद क़ायम है।
यह बात ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने अपने एक बयान में कही है। उन्होंने कहै कि समाजवादी पार्टी ने आज तक किसी पसमांदा मुसलमान को राष्ट्रीय अध्यक्ष तो छोड दीजिये किसी पसमांदा मुसलमान को अपने मुख्य संगठन का प्रदेश अध्यक्ष भी क्यों नहीं बनाया।समाजवादी पार्टी के मुख्य संगठन का राष्ट्रीय और प्रदेश अध्यक्ष छोड देते हैं समाजवादी पार्टी के मौजूदा किसी फ्रंटल संगठन जैसे युवजन सभा, महिला सभा, पिछड़ा वर्ग सभा, लोहिया वाहिनी, किसान सभा वगैरह में भी किसी का राष्ट्रीय या प्रदेश अध्यक्ष पसमांदा मुसलमान क्यों नहीं।उत्तर प्रदेश के कुल मुसलमानों या अल्पसंख्यकों में 85% से ज्यादा पसमांदा मुसलमान उसके बाद भी समाजवादी अल्पसंख्यक सभा का ना तो प्रदेश अध्यक्ष और ना ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पसमांदा मुसलमान क्यों। आपकी और आपके पार्टी की पसमांदा हमदर्दी सिर्फ़ धोखा ही हैं आपको पसमांदा मुसलमानो का सिर्फ़ वॉट चाहिए टिकट या संगठन में कोई जगह नही देनी हैं वोट दे पसमांदा मुसलमान हिस्सेदारी वही 15 फ़ीसदी आबादी वाले अशरफ़ मुसलमान को 85% फ़ीसदी आबादी वाले पसमांदा मुसलमानो को सिर्फ़ झंडा लगाना नारे लगाना दरी बिछाना यही हिस्सेदारी मिलती फिर सरकार बन जाने पर अपनी 8% फ़ीसदी यादव बिरादरी को ही मंत्री मंडल से लेकर विधानपरिषद राज्यसभा तक भेजते हैं जबकि उनकी यादव बिरादरी से दो गुना वोट देने वाले पसमांदा मुस्लिम को कुछ नहीं मिलता हैं इस तरह की न इंसाफ़ी करने वाले अखिलेश जी को 2024 में पसमांदा मुस्लिम समाज अपनी ताक़त का एहसास कराएगा पसमांदा समाज अब जागरूक हो गया हैं। पसमांदा समाज उसी दल को वोट करेगा जिस दल से हिस्सेदारी मिलेगी । दलित मुसलमानो पर दस अगस्त 1950 से जुल्म होता चला आ रहा हैं ३४१/३ पर लगी धार्मिक पाबंदी पर सपा ने लोकसभा या राज्यसभा में कोई आवाज़ नहीं उठाई जिसकी वजह से रिजर्व दलित सीटो पर दलित मुसलमान चुनाव नही लड़ पा रहे सिर्फ़ वोटर बने हुए हैं।

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