पर्यूषण पर्व मानव के कल्याण के लिए हैं : समर्पण सागर

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उत्तम शौच का अर्थ है मन को मांजना। पहले दिन क्रोध को भगाया, दूसरे दिन मान को मारा, तीसरे दिन मन को बच्चे की तरह सरल किया और आज मन को मांजने की बात हो रही है। भारत धार्मिक विविधताओं का देश है, पर्यूषण पर्व मानव के कल्याण के लिए है। यह मनुष्य को क्षमावान बनाता है। यह पर्व लोक और परलोक में सुख देने वाला है। आत्म शुद्धि के साथ जैन धर्म में अहिंसा का सर्वोच्च स्थान है। यह संदेश पर समर्पण भवन में विराजमान बालयोगी गिरनार पीठाधीश्वर क्षुल्लक रत्न 105 श्री समर्पण सागर ने बुधवार को प्रातःकाल जैन श्रावकों को सम्बोधित करते हुए दिया।

श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर रामगंगा विहार में पर्यूषण पर्व का चतुर्थ दिन उत्तम शौच के रूप में मनाया गया। श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में श्रद्धालुओं द्वारा भगवान जिनेंद्र का मंगल जलाभिषेक किया गया एवम विश्व मंगल की कामना के साथ शान्तिधारा की गई। शान्तिधारा करने का परम सौभाग्य मनोज जैन एवं पारिजात जैन परिवार को प्राप्त हुआ। भगवंतों की आरती, प्रश्नोत्तरी, जिनवाणी पूजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।

जैन मुनि समर्पण सागर ने कहा कि किसी ने पूछा संसार छोटा है या बड़ा? हमने कहा संसार न छोटा है ना बड़ा। जिसकी कामना, वासनाएं बड़ी हैं, उसका संसार बड़ा है। जिसकी कामना, वासना कम है उसका संसार छोटा है। संतों का संसार, इच्छाएं सीमित हैं। मुनिश्री ने कहा कि पर्यूषण शुद्ध रूप से आध्यात्मिक पर्व है। इसमें आत्मचिंतन ही नहीं, आत्ममंथन की प्रक्रियाएं भी निहित हैं। सभी जीवों में मनुष्य ही सर्वश्रेष्ठ जीव है। श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए पर्यूषण पर्व का तोहफा मिला है।

इस दौरान व्यवस्था में रामगंगा विहार जैन समाज के अध्यक्ष संदीप जैन, मंत्री नीरज जैन वरिष्ठ कार्यकर्ता सर्वोदय जैन, पवन कुमार जैन, सजल जैन, ऋतु जैन, अंजलि जैन, शिवानी जैन, अनुज जैन, अजय जैन, अंकुर जैन, राहुल जैन, विकास जैन, मोहित जैन, सुषमा जैन, उषा जैन, रजनी जैन आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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