27 वीं पुण्यतिथि पर लोगों ने स्मरण कर शत-शत नमन किया
सोनभद्र। स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिलाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पसही गांव के पंडित रामनाथ पाठक एक मानवतावादी राजनीतिज्ञ थे जिनके जिगर में आदिवासियों , गिरिवासियो और वंचितों के प्रति पीर थी । 1962 में रॉबर्ट्सगंज और 1967 में राजगढ़ विधानसभा से कांग्रेस के विधायक रहे रामनाथ पाठक सभी के प्रिय व हितैषी थे । अपने विधायकी के समय सदन में आवाज बुलंद कर खड़चरी पर रोक लगवाए थे।
वनवासियों के लिए हल, हरीश, जुआ , लग्गा , कोरो , टर्रा , धरन , बडेर , जलावनी सूखी लकड़ी आदि निःशुल्क देने के लिए नियम बनवाए थे। मिर्जापुर के दक्षिणांचल को पहाड़ी क्षेत्र घोषित कर इसके लिए विशेष पैकेज देने की मांग तत्कालीन चंद्रभान गुप्त सरकार से करते रहते थे। 1966 के समय गांव – गांव टेस्टवर्क खोलवाने में पूर्व विधायक रामनाथ पाठक जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । हजारों लोगों की उन्होंने नौकरी लगवाई थी । सीमेंट फैक्ट्री चुर्क और तहसील तथा जिला परिषद में लेखपाली , अमीनी , चपरासी , प्राइमरी में मास्टरी , सेक्रेटरीआदि पदों पर क्षेत्रीय युवकों को नौकरी दिलवाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था । साधारण परिवार में जन्मे स्वाधीनता संग्राम सेनानी पंडित रामनाथ पाठक किशोरावस्था में ही अंग्रेजों के ख़िलाफ़ संघर्ष में जुट गए थे। 1942 में जेल की यातनाएं झेलनी पड़ी थी असहयोग आंदोलन , अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन आदि में सक्रिय योगदान देने वाले स्वर्गीय पाठक जी के चरणों में उनके पुण्यतिथि पर कोटिशः नमन करते हुए लोगों ने आज उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
उनके एक मात्र पुत्र डॉक्टर मार्कण्डेय राम पाठक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में 42 वर्षतक सेवा के बाद अवकाश ग्रहण कर अब
किसानों की आय दो गुनी करने के काम मे जुटे हुए हैं । पौत्र कौशलेश पाठक कांग्रेस सेवादल के जिला अध्यक्ष के रूप में जनसेवा के काम मे लगे हैं । पत्रकार भोलानाथ मिश्र, राजेश द्विवेदी समेत क्षेत्र के गणमान्यों ने पूर्व विधायक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित रामनाथ पाठक को वंचितों का मसीहा बताया । उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि
अर्पित कर उन्हें शत-शत नमन किया।
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