समाजसेवी अखिलेश पांडेय ने तीन बिंदुओं पर जांच की मांग करते हुए जिलाधिकारी सहित शासन स्तर को लिखा पत्र
बढ़नी सिद्धार्थनगर। विकास खंड बढ़नी के ग्राम पंचायत रोईनिहवा निवासी अखिलेश पांडेय जो आरटीआई कार्यकर्ता व समाजसेवी हैं। उन्होंने पंचायती राज अधिकारी सिद्धार्थनगर द्वारा शासनादेश के विरुद्ध मनमानी करने का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी सहित शासन स्तर के प्रमुख सचिव पंचायती राज उ.प्र., आयुक्त मंडल बस्ती ,मुख्य विकास अधिकारी सिद्धार्थनगर, मुख्यमंत्री उ.प्र. सरकार लखनऊ, अपर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन को रजिस्टर्ड पत्र भेजकर तीन बिंदुओं पर जांच की मांग की है। उनका कहना है कि पंचायती राज निदेशक उत्तर प्रदेश, पंचायती राज निर्देशालय द्वारा जारी शासनादेश संख्या 01/2022/2417/33-3-2021-119/2020 दिनांक 06 जनवरी 2022 के अन्तर्गत कलस्टर आवंटन का निर्देश जारी किया गया था कि प्रत्येक सचिव के पास समान कलस्टर जारी किया जाये यदि किसी ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी को एक से अधिक कलस्टर प्रभार दिया जाता है तो दोनों कलस्टर भौतिक रूप से साथ लगे कलस्टर का प्रभार दिया जाये, परन्तु जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा शासनादेश का उलंघन करते हुए सुविधा शुल्क ले कर एक ही विकास खण्ड में किसी सचिव के पास एक क्लस्टर तो किसी के पास 3 कलस्टर का प्रभार दे दिया गया है। तथा शासनादेश के विपरीत आपने चहेतों को मनचाहा कलस्टर दे दिया गया है। जबकि दोनों कलस्टर में 13-15 किमी. की दूरी है। जिसका जांच किया जाना अति आवश्यक है। जिससे शासनादेश का पालन हो सके। उदहारण स्वरूप विकास खण्ड डुमरियागंज खुनियांव, नौगढ़, बढ़नी शामिल हैं।
2. पूरे जनपद में सफाई कर्मचारी के स्थानांतरण धन उगाही हेतु मनमानी तरीके से किया जाता है। जिसमें पुनः सुविधा शुल्क के जाधार पर स्थानांतरण संसोधित किया जाता है। जिसका जांच किया जाना अति आवश्यक है।
3. जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा धनउगाही हेतु प्रत्येक पटल पर शासनादेश के विपरीत कम से कम दो-दो सफाई कर्मचारी को नियमविरुद्ध बिना किसी आदेश के धनउगाही हेतु तैनात किया गया है। जिसके साक्ष्य विकास भवन में लगे सी सी टी वी. फुटेज एवं मोबाईल लोकेशन द्वारा लिया जा सकता है।
उन्होंने उपरोका बिन्दुओं की जांच जिला पंचायत राज अधिकारी सिद्धार्थनगर के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग करते हुए, जांच की कार्यवाही से निवेदक को भी अवगत कराने का अनुरोध किया है। अन्यथा प्रार्थी विवश हो कर मां. न्यायलय का शरण लेने के लिये बाध्य होने की मंशा जाहिर की है।