रामपुर CRPF कैंप हमले में गुलाब खान बेकसूर साबित हुए। 12 साल जेल में रहने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों को लंबे वक्त जेल में रखने के लिए आतंकी केस में फंसाया जाता है इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक समुदा के सदस्य अपराध न्याय प्रणाली में ‘ सुनियोजित भेदभाव’ का सामना कर रहे हैं।
वह उत्तर प्रदेश की एक अदालत द्वारा वर्ष 2008 के रामपुर CRPF कैंप हमले के एक आरोपी को बरी किए जाने के मामले में अपनी प्रतिक्रिया दिया है।
हैदराबाद के सांसद ने ट्वीट कर कहा, ‘आतंकी मामलों में मुस्लिमों को केवल दशकों के बाद बरी किए जाने के लिए फंसाया जाता है। हम अपराध न्याय प्रणाली में सुनियोजित भेदभाव का अनुभव करते हैं, चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में हो।’
Muslims are incarcerated in terror cases only to be acquitted after decades. We experience systemic discrimination in the criminal justice system regardless of the party in power
The double injustice here is not only to Gulab Khan but also to the victims of Rampur attack [1/2] https://t.co/7wNxdq784x
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 3, 2019
ओवैसी ने आगे कहा, ‘यह दोहरा अन्याय केवल गुलाब खान के लिए ही नहीं, बल्कि रामपुर हमले के पीड़ितों के लिए भी है।’ एक अन्य ट्वीट में ओवैसी ने पूछा, ‘असली अपराधी कौन थे?
क्या गुलाब खान को उस अपमान के लिए मुआवजा दिया जाएगा जो उन्हें और उनके परिवार को सहना पड़ा था? ’ वर्ष 2008 में रामपुर CRPF कैंप हमले के मामले में उत्तर प्रदेश के रामपुर की एक अदालत ने 2 पाकिस्तानी नागरिकों सहित 6 आरोपियों को दोषी ठहराया। अतिरिक्त जिला जज की अदालत ने उन्हें विभिन्न धाराओं के तहत दोषी माना।
अदालत ने हमले में इस्तेमाल हथियारों को छिपाने के आरोपी प्रतापगढ़ निवासी मुहम्मद कौसर और बरेली निवासी गुलाब खान को बरी कर दिया।
आतंकवादियों ने 2008 में रामपुर स्थित CRPF समूह केंद्र पर हमला किया था जिसमें 7 CRPF जवान और एक नागरिक मारे गए थे, जबकि कुछ लोगों को गंभीर चोटें आई थीं।
आईपीसी, शस्त्र अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम अधिनियम, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत 8 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे।