एक तीर कई निशाने

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एस.एन.वर्मा

 

भाजपा नेतृत्व की विशेषता है कि बहुआयामी और बहुदूरदर्शी फैसले लेती है। मोदी और शाह की यह विशेषता पार्टी के लिये बहुत फायदेमन्द साबित होती है। राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासियों से वह भी महिला को चुन कर व्यापक असर डाला। उसके बाद जाट बिरादरी से उपराष्ट्रपति को चुनकर अपने समीकरण को आगे बढ़ाया। अब जब पार्टी के लिये प्रदेश अध्यक्ष चुनने की बारी आयी तो जाट समुदाय का पश्चिमी चेहरा सामने लाया। 2024 चुनाव को ध्यान में रखते हुये भाजपा ने जातीय और क्षेत्रीय सन्तुलन को ध्यान में रखकर प्रदेश अध्यक्ष चुना। इस तरह भाजपा ने क्षेत्र, जाति और संगठन तीनो समीकरण को प्रभावी ढंग से साधा है। पश्चिम से संगठन महामंत्री बनाने के बाद अब पश्चिम से ही जाट बिरादरी के भूपेन्द्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष के लिये चुना है। पूरब का मुख्यमंत्री पश्चिम का प्रदेश अध्यक्ष अच्छी जुगलबंदी बनती है। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भूपेन्द्र ने प्रतिक्रिया दी। भाजपा कार्यकर्ता आधारित संगठन है। वह भाजपा ही है जहां सामान्य कार्यकर्ता को भी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
भूपेन्द्र हिन्दू विश्वपरिषद से भाजपा में आये। पश्चिम में क्षेत्रीय अध्यक्ष और क्षेत्रीय मंत्री रह चुके है। 1991 में मुलायम सिंह के खिलाम सम्मल से लोकसभा की सीट के लिये चुनाव लड़े थे पर हार गये। हारने के बावजूद वह पश्चिम में चर्चित चेहरा बन गये। जाट चेहरा चुन कर भाजपा ने चुनावी समीकरण को भी साधा है। किसान अन्दोलन के परिप्रेक्ष कयास था कि भाजपा को भारी धक्का लगेगा। पर भाजपा ने आशा के विपरीत पहले चरण में ही भाजपा ने 58 में से 46 सीटे जीत कर सबको चौकाया। दूसरे चरण में 55 में से 31 सीटे अपने नाम की। 17 जाट उतारे गये थे जिसमें 10 ने विजय पताका फहराई। सपा-आरएलडी गठबन्धन ने बहुत उम्मीद के साथ 17 सीटो पर उतरे थे, गठबन्धन सहित सभी को उम्मीद थी भाजपा के विरूद्ध अच्छा प्रदर्शन करेगे पर वे 7 ही सीट पा सके।
लोक सभा चुनाव के लिये विपक्ष पूरी तैयारी कर रहा है। सपा-आरएलडी जिनसे मुख्य विरोध है दायरा बढ़ाने में लगे है। अखिलेश ने जयंत को राज्यसभा में भेज का उनका कद और प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की है। किसान अन्दोलन फिर जग रहा है। ऐसे में किसान परिवार के जाट नेता को प्रदेशाध्यक्ष बना कर भाजपा ने अच्छा कार्ड खेला है। किसान अन्दोलन में जाटो की संख्या काफी है। भूपेन्द्र चौधरी उन्हें अपने आकर्षण में बांध जातीय स्मिता के सहारे अच्छा प्रभाव पार्टी के हित में डाल सकेगे यह सोच पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में काफी मुखर रहा है। भूपेन्द्र किसान परिवार से आते है। किसान अन्दोलन फिर जम रहा है। ऐसे मेंु किसान परिवार के जाट नेता को प्रदशाध्यक्ष बना कर भाजपा ने अच्छा कार्ड खेला है। किसान अन्दोलन में जाटो की संख्या काफी है। भूपेन्द्र चौधरी उन्हें अपने आकर्षण में बांध जातीय स्मिता के सहारे अच्छा प्रभाव पार्टी के हित में डाल सकेगे यह सोच पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में काफी मुखर रहा है। भूपेन्द्र किसान परिवार से आते है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सोशल इन्जीनीयरिंग के हिसाब से भाजपा की यह चाल निश्चित रूप से प्रभाव डालेगी। क्योंकि वेस्ट यूपी में लोकसभा की आठ सीटों और आगरा, मुरादाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़ मन्डल के कई क्षेत्रों में जाटों का भारी असर है। अगर जाट कार्ड फलित होता है तो भाजपा को बहुत फायदा होगा। भाजपा को विश्वास है जाट बिरादरी में हारी सीटों पर जाट और क्षेत्र कार्ड से सहारे काफी फायदा मिलेगा। रामपुर उपचुनाव में जीत के बाद भाजपा का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है। उसको लगता है लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी के नगीना, संभल, सहानपुर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, सम्भल, रामपुर में 2019 में हार मिली थी। भाजपा को उम्मीद है अब काफी हद तक नतीजे अगले लोकसभा चुनाव में उसके पक्ष में आयेगे।
चूकि चुनाव की शुरूआत पश्चिम से ही होती है। पहले चरण में जो चुनावी माहौल बनता है वह आगे बढ़ता ही जाता है। अपने पक्ष में चुनाव टेम्पो हाई रखने के लिये पहले चरण का बहुत महत्व होता है। भूपेन्द्र को संगठन और सरकार दोनो का अनुभव है जो उनके लिये प्लस प्वाइन्ट रहा है। उन्होंने 30 साल तक कार्यकारिणी सदस्य से लेकर क्षेत्रीय अध्यक्ष तक रह चुके है। 2017 से योगी सरकर में आये और इस बार कैबीनेट मंत्री का दर्जा हासिल किया। इस समय पंचायती राज संभाल रहे है। मुमकिन है अब मंत्री पद से हट जाये। कार्यकर्ताओं में वह खासे लोकप्रिय है और बहुतों को नाम से जानते है। प्रदेश अध्यक्ष के लिये शुभकामनायें।

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