अवधनामा संवाददाता
आधी अधूरी सीरत गुमरही का ज़रीया होती है
बाराबंकी । मोहम्मद व आले मोहम्मद की विलादत के मौके पर मुल्क में चैन व अमन की मांगी दुआएं ।मौलाना गुलाम अस्करी हाल में जश्ने विलादत हजरत मोहम्मद मुस्तफ़ा स अ व और इमाम जाफ़रे सादिक़ अ स के मौके पर मौलाना मोहम्मद रज़ा ज़ैदपुरी ने कहा बातिल ने जब जब ज़ोर आजमाइश की है शिकस्त उसका मुक़द्दर बना इस्लाम सुर्ख़रू हुआ है ।जहां औरतों को ज़िल्लत की नज़र से देखा जाता था लड़कियों को ज़िन्दा दफ़्न कर दिया जाता था , वहीं इस्लाम ने औरतों को इज़्ज़त व हयात बक़्शी ।आधी अधूरी सीरत गुमरही का ज़रीया होती है, मोहम्मद स अ व की पूरी सीरत अपनाए उन्हें अपना आइडियल बनायें । खिताबत के बाद शुरू हुआ नज़रानए अक़ीदत का सिलसिला। डाक्टर रजा मौरानवी ,कशिश संडीलवी,अजमल किन्तूरी ,मुजफ्फर इमाम, हाजी सरवर अली करबलाई, अहमद रज़ा , फ़राज़ ज़ैदी ,कमर इमाम , हबीब हैदर “हब्बू” ,कामयाब ,ताहा व सादिक नेपाल किये नज़रानए अक़ीदत। बादे महफिल हुआ नज़रो नियाज़ का एहतेमाम। निज़ामत अजमल किन्तूरी ने की ।महफिल का आग़ाज तिलावत ए कलाम ए पाक से मौलाना अब्बास मेहदी “सदफ़” ने किया बानियाने महफ़िल ने सभी का शुक्रिया अदा किया।





