नीट परीक्षा पेपर लीक मामले में पूरे देश में मचे बवाल में उत्तर प्रदेश के सूहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के विधायक बेदी राम का नाम उछल गया। सुभासपा विधायक बेदी राम का नाम पेपर लीक में आने पर उनकी पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने मीडिया के सामने चुप्पी साध ली। ओमप्रकाश राजभर की चुप्पी को राजनीतिक गलियारे में गलत माना गया। तभी बेदी राम के मुद्दे पर सुभासपा अध्यक्ष की किरकिरी होने लगी।
प्रदेश की राजधानी में विधायक बेदी राम का नाम राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े हर शख्स के जुबान पर अभी भी है। सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने पिछले विधानसभा चुनाव में बेदी राम को विधायक बनने का टिकट दिया था। इसके बाद ओमप्रकाश राजभर और बेदी राम में अच्छी मित्रता हो गयी। जिसके परिणाम स्वरुप बेदी राम ने घोसी लोकसभा सीट पर ओमप्रकाश राजभर के पुत्र के चुनाव में जोरदार मेहनत की।
राजनीतिक गलियारों में बेदी राम का नाम माननीय के रुप में लिया जाता है। वहीं बेदी का पिछला इतिहास तमाम कारनामों से जुड़ा रहा है। जिसमें लखनऊ के कृष्णा नगर में पेपर लीक के बाद बेदी राम की गिरफ्तारी का किस्सा सबसे ज्यादा चर्चा में आ गया है। विधायक बेदी के नाम की जितनी चर्चाएं है, उसका असर सुभासपा की राजनीति पर पड़ता दिख रहा है। सुभासपा के पदाधिकारी, कार्यकर्ता अपने मुंह से कुछ कह नहीं पा रहे हैं। इसका कारण ओमप्रकाश राजभर की बेदी राम के मामले में चुप्पी भी है।
विधायक बेदी राम पर बढ़ते बवाल पर सुभासपा के प्रवक्ता पियूष ने पार्टी का पक्ष रखकर कहा कि हमारे पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर किसी छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देगे। हम पारदर्शी विचार रखते हैं। बेदी राम मामले में कानून नियम संगत अपना काम कर रही है। जब तक आरोप सिद्ध नहीं हो जाते, तभी तक कुछ भी कहना ठीक नहीं है। हम सभी को कानून व न्यायालय पर अटूट विश्वास है।
बता दें कि बिहार के पेपर लीक मामले में पूर्व आरोपी बिजेन्द्र गुप्ता के एक बयान में सुभासपा विधायक बेदी राम को उत्तर प्रदेश का पेपरलीक माफिया बताया गया था। इस कड़ी के बाद ही बेदी राम का आपाराधिक इतिहास खंगाला गया। जिसके बाद जनपदों गाजीपुर, लखनऊ, जौनपुर में बेदी राम के कारनामे सामने आये। वहीं सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर अपने विधायक को बचाने मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर नई दिल्ली तक दौड़ लगाते मिले।