अब पड़ेगी हाड़ कंपा देने वाली कड़ाके की ठंड

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शीत लहर और कोहरे से भरा होगा चालीस दिनों का चिल्ला धनु के 15 और मकर के 25 दिनों का ऋतु चक्रवसंत पंचमी भी चिल्ले में पड़ेगी
कड़ाके की ठंड , कोहरा और तीखी शीत लहर लाने वाला 40 दिनों का चिल्ला मंगलवार से प्रारंभ हो गया है । सूर्यनारायण के राशि परिवर्तन पर आधारित चिल्ला ज्योतिष शास्त्र के पुराने ऋतु चक्र के साथ साथ कृषकों के फसल चक्र से भी जुड़ा है । इन 40 दिनों में कंपकंपी लाने वाली ठंड पड़ती है । घने कोहरे के कारण एक ओर जहां आवागमन बाधित होता है वहीं बेहद तीक्ष्ण ठंडी हवाएं जीना मुहाल कर देती हैं । चिल्ला मंगलवार 31 दिसंबर से प्रारंभ हुआ और शनिवार 8 फरवरी को संपन्न  हो जाएगा ।
शरद ऋतु के तीसरे चरण शिशिर ऋतु में चालीस दिनों के चिल्ले का निर्धारण सूर्य के राशि परिवर्तन से होता है । स्मरणीय है कि भगवान सूर्यनारायण एक राशि में एक माह रहते हैं । लेकिन भीषण ठंड लाने वाला चिल्ला बनाने के लिए सूर्य के दो राशियों में प्रवेश की आवश्यकता होती है । हमारे ऋषियों ने ऋतुओं का छह भागों में विभाजन करते हुए पाया कि चालीस दिन ऐसे आते हैं जो वर्ष में सबसे ठंडे होते हैं । ये दिन इस बार मंगलवार से शुरू हो रहे हैं ।
सूर्य के धनु राशि में रहने के अंतिम 15 दिन और मकर राशि में रहने के आरंभिक 25 दिनों को मिलाकर कुल 40 दिनों का चिल्ला बनता है । ये चालीस दिन साल के सबसे ठंडे दिन माने गए हैं । यह ऋतु  निर्धारण देश के किसानों के बहुत काम आता है। वे अपनी फसलों को पाले से बचाने का प्रबंध चिल्ले की अवधि के अनुसार पहले ही कर लेते हैं ।
इन दिनों में सर्वाधिक हिमपात होता है , भीषण शीत लहर चलती है और सूर्य देव कोहरे में खोए रहते हैं । दक्षिणायण का चरमकाल शुरू हो जाने से सूर्य का तापमान घट जाता है । 13 जनवरी को लोहड़ी और 14 जनवरी को मकर संक्रांति की आग जलाकर सूर्य का तापमान बढ़ने की कामना की जाती है । तिल के लड्डू बनते हैं ।
मान्यता है कि उस दिन उत्तरायण प्रारंभ हो जाएगा जो तिल तिल कर सूर्य का तापमान बढ़ाने वाला है ।  उत्तरायण से ही विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर एक महीने से लगा विराम समाप्त हो जाएगा । विवाह आदि का आयोजन फिर शुरू होगा , समस्त मांगलिक कार्य भी होंगे । उत्तरायण में यज्ञोपवीत और मुंडन संस्कार प्रारंभ हो जाएंगे ।
इसी चिल्ला काल में मकर संक्रांति से प्रयागराज का कुंभ मेला प्रारंभ हो जाएगा । 2 फरवरी को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा । चालीस दिनों के चिल्ले का प्रचलन सभी राज्यों के भारतीय कृषक समाज में बहुत अधिक है । इन दिनों अनेक राज्यों में कृषक लोकोत्सव प्रारंभ होते हैं । पर्वतीय राज्यों में उत्तरायणी धूमधाम से मनाई जाएगी ।
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