रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप आया जिसके बाद सुनामी का खतरा मंडरा रहा है। कुरील द्वीपों में लहरें चार मीटर तक ऊंची उठीं। जापान में 30 सेंटीमीटर की लहर रिकॉर्ड की गई। अलास्का हवाई और चिली जैसे देशों के लिए चेतावनी जारी की गई है। 2011 में जापान में आए भूकंप और सुनामी ने भारी तबाही मचाई थी जिससे फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट भी प्रभावित हुआ।
रूस के कामचटका प्रायद्वीप में बुधवार तड़के 8.8 तीव्रता का भीषण भूकंप आया। इस शक्तिशाली भूकंप के बाद कई देशों में सुनामी का खतरा मंडराने लगा है। कई तटीय इलाकों में तेज लहरे भी देखी गईं।
सुनामी की लहरें कुरील द्वीपों के सेवेरो-कुरील्स्क तक पहुंचीं। लहरों से समुद्र का पानी चार मीटर तक ऊंचा उठ गया। जापान की मौसम एजेंसी ने होक्काइडो के नेमुरो में 30 सेंटीमीटर की लहर रिकॉर्ड की।
अलास्का, हवाई, चिली, न्यूजीलैंड, सोलोमन द्वीप और इक्वाडोर तक के लिए चेतावनी जारी की गई, जहां तीन मीटर तक की लहरों का खतरा था। भूकंप का केंद्र पेट्रोपावलोव्स्क-कामचट्स्की शहर से 119 किलोमीटर दूर था, जहां 1,80,000 लोग रहते हैं।
2011 की जापान सुनामी त्रासदी
11 मार्च 2011 को जापान के होन्शू द्वीप के उत्तर-पूर्वी तट पर समुद्र के नीचे 9.1 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके आधे घंटे के भीतर एक विशाल सुनामी ने शहर में खूब तबाही मचाई। यह भूकंप जापान ट्रेंच के पास आया था। इस जगह प्रशांत प्लेट ओखोत्स्क माइक्रोप्लेट के नीचे धंस रही थी।
यह टूटन करीब 300 किलोमीटर लंबी और 150 किलोमीटर चौड़ी थी। इस वजह से समुद्र तल करीब 50 मीटर तक ऊपर उठ गया था। यह जापान का अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप था और 1900 के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भूकंप था।
इसके झटके पूरे जापान में महसूस हुए और रूस, ताइवान और चीन तक इसका असर पहुंचा। सैकड़ों आफ्टरशॉक आए, जिनमें से कुछ 7.0 तीव्रता से ज्यादा के थे। आधे घंटे बाद, 40 मीटर ऊंची सुनामी लहरें जापान के उत्तर-पूर्वी तट से टकराईं।
तटीय सुरक्षा दीवारें ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। सेंडाई और इवाते जैसे इलाकों में पानी 10 किलोमीटर तक अंदर घुस गया था। शहर, हवाई अड्डे, बंदरगाह और बस्तियां तबाह हो गईं थी।
फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट में मची थी तबाही
2011 की सुनामी की वजह से फुकुशिमा दाइची न्यूक्लियर प्लांट के कूलिंग सिस्टम को ठप कर दिया था। तीन रिएक्टरों में ओवरहीटिंग हुई और अगले कुछ दिनों में कोर मेल्टडाउन हो गया। विस्फोट और रेडिएशन लीक की वजह से 20 किलोमीटर के दायरे में लोगों को खाली करना पड़ा था। इससे हजारों लोग प्रभावित हुए थे। यह हादसा चर्नोबिल के बराबर लेवल 7 न्यूक्लियर आपदा के रूप में दर्ज हुआ था।
2021 तक, इस त्रासदी में 15,899 लोगों की मौत की पुष्टि हुई, 2,526 लोग लापता रहे और 6,000 से ज्यादा घायल हुए। ज्यादातर मरने वाले बुजुर्ग थे, जो सुनामी की चपेट में आ गए। मियागी प्रांत में सबसे ज्यादा जानमाल का नुकसान हुआ। 1,23,000 घर पूरी तरह तबाह हुए और 10 लाख से ज्यादा को नुकसान पहुंचा। 98 फीसदी नुकसान सुनामी की वजह से हुआ।