राज्यसभा चुनाव: भाजपा के नौवें दांव में उलझे विपक्षी दल, समीकरण बदलने में जुटे दिग्गज
-निर्दलीय विधायकों व असंतुष्टïों को पाले में करने की कोशिश
-क्रास वोटिंग हुई तो ध्वस्त हो सकते हैं सभी समीकरण
सीमाब नकवी
लखनऊ। राज्यसभा चुनाव में भाजपा के नौवें दांव ने विपक्षी दलों को उलझा दिया है। राज्यसभा की दस सीटों के लिए हो रहे चुनाव में भाजपा की आठ और सपा की एक सीट पक्की है लेकिन दसवीं सीट के लिए भाजपा ने दावेदारी पेश कर पहले के सभी समीकरणों को ध्वस्त कर दिया है। हालांकि भाजपा के 11 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय का कहना है कि चुनाव में नौ ही रहेंगे। दो का नाम वापस हो जाएगा। भाजपा के इस दांव ने बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर की राह में न केवल कांटे बिछा दिए हैं बल्कि समीकरण बदलने के लिए कवायद भी तेज कर दी है। भाजपा नौवीं सीट पर जीत पक्की करने के लिए जरूरी नौ मतों के लिए निर्दलीय और अन्य पार्टियों के असंतुष्टï विधायकों पर नजर रखे हुए है। इससे खरीद फरोख्त और क्रास वोटिंग की भी आशंका है।
दरअसल आठ सीटों को जीतने के बाद भी भाजपा के पास अतिरिक्त 28 विधायकों के मत बच रहे हैं। नौवीं सीट पर जीत के लिए उसे नौ और मतों की जरूरत है। लिहाजा भाजपा के दिग्गजों ने पूरी जोड़-तोड़ शुरू कर दी। विधानसभा में सहयोगी दलों समेत इस समय भाजपा के पास 324 (बिजनौर के नूरपुर के भाजपा विधायक लोकेंद्र सिंह के निधन से एक संख्या घटी) हैं। एक सीट के लिए औसत 37 विधायकों के मत की जरूरत है। सदन में निर्दलीय रघुराज प्रताप सिंह और अमन मणि त्रिपाठी तथा निषाद के विजय मिश्रा हैं। भाजपा के एक दिग्गज इन तीनों मतों पर अपना ही दावा करते हैं। यह माना जा रहा है कि रघुराज प्रताप सिंह अगर भाजपा के पक्ष में हुए तो कई विधायकों को अपने साथ जोड़ सकते हैं। भाजपा के 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें दो सलिल विश्नोई और विद्यासागर सोनकर की घोषणा पहले नहीं हुई थी। इनका कहना है कि पार्टी के निर्देश पर ही पर्चा भरे। यह भी जा रहा है कि जीत के लिए कम पडऩे वाले मतों का जुगाड़ करने के लिए भी पार्टी अपने नेताओं की परीक्षा ले रही है। इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले को संभव है कि मैदान में बने रहने दिया जाए और दूसरे का नाम वापस ले लिया जाए।
दूसरी ओर राज्यसभा चुनाव की शुरुआत में सपा ने बसपा के साथ गठबंधन कर नई सियासी पारी शुरू हुई। सपा ने जया बच्चन को उम्मीदवार बनाया और बसपा प्रत्याशी को समर्थन देने का ऐलान किया। बसपा की ओर से भीमराव अम्बेडकर उम्मीदवार बनाये गए है। कांग्रेस ने भी बसपा प्रत्याशी को समर्थन देने का ऐलान किया है। विधायकों के मत को देखें तो असली संघर्ष इसी सीट पर है। जया बच्चन के मत आवंटित करने के बाद सपा के दस वोट बच रहे हैं। बसपा के 19, सपा के दस, कांग्रेस के सात और रालोद के एक वोट मिलाकर कुल 37 हो रहे हैं। सपा-बसपा का दावा है कि उनके वोट पूरे हैं। दूसरी ओर भाजपा के रणनीतिकार भी सावधान हैं। विपक्ष की निगाह भाजपा के कुछ असंतुष्टों के अलावा उनके सहयोगी दलों पर भी है। लिहाजा विधायकों के समूह की निगरानी के लिए भाजपा ने पदाधिकारियों और मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। किस उम्मीदवार को कौन-कौन विधायक वोट देंगे, भाजपा इसका भी आवंटन करेगी।
पुराना फार्मूला दोहराने में लगी भाजपा
भाजपा ने सपा सांसद नरेश अग्रवाल को पार्टी में शामिल कर अपना दांव दिखा दिया है। सपा महासचिव रहे नरेश अग्रवाल के पुत्र नितिन अग्रवाल सपा विधायक हैं। नरेश के भाजपा में शामिल होते ही समीकरण बदल चुके हैं। नितिन चुप्पी साधे हैं लेकिन माना जा रहा है कि वह भाजपा खेमे में होंगे। यही नहीं विपक्ष में कई विधायक भी भाजपा के पाले में जा सकते हैं। 2016 के विधान परिषद और राज्यसभा के चुनाव में भी भाजपा ने कई दलों में सेंध लगाई थी। भाजपा पुराने फार्मूले को दोहराने में जुटी है।
वोट दिखाने के नियम से विपक्ष को राहत
राज्यसभा चुनाव में विधायक को अपना मतपत्र मतपेटी में डालने से पहले पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाना पड़ता है। बसपा और सपा अपने एजेंट के जरिये अपने विधायकों का मत देखेंगे अगर किसी विधायक ने अपना मत नहीं दिखाया तो उसकी सदस्यता को चुनौती दी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा कुछ दमदार विधायकों को 2019 में लोकसभा चुनाव में उतारने के वादे के साथ अपने पाले में कर सकती है। ऐसे विधायक खुला विद्रोह भी कर सकते हैं। यह स्थिति सत्ता और विपक्ष दोनों तरफ हो सकती है।
विधायकों की दलीय स्थिति
दल विधायक
भाजपा 311
अपना दल (एस) 09
सुभासपा 04
सपा 47
बसपा 19
कांग्रेस 07
रालोद 01
निषाद पार्टी 01
निर्दलीय 03