अवधनामा संवाददाता
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के ललित कला तथा अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त संयोजन में अयोध्या के सांस्कृतिक धरोहर स्वरूप विषय पर नौ दिवसीय राष्ट्रीय आयल चित्रण कार्यशाला के सातवें दिन बुधवार को लखनऊ आर्ट काॅलेज के विभागाध्यक्ष डाॅ0 रतन कुमार ने छात्रों को चित्र में रंगों के भरने की मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि चित्रण करते समय रंग के प्रयोग से ही उसमें अर्थपूर्णता दी जाती है और ऐसे चित्र ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच कर संदेश देने का कार्य करते है और इसके दूरगामी प्रभाव देखने को मिलता है। उन्होंने छात्रों का मनोबनल बढ़ाते हुए रंगों के भरे जाने की तकनीक से भी अवगत कराया।
ललित कला के समन्वयक एवं विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास के प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस कार्यशाला में छात्रों द्वारा बहुत ही मनोहारी चित्रण किया गया है। इन कलाकृतियों के प्रदर्शन से छात्र उत्साहित है। कार्यशाला की आयोजन सचिव सरिता सिंह ने बताया कि चित्रों के संरक्षण एवं रख-रखाव की तकनीक से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया गया है। इसके अतिरिक्त उन्हें कलाकृत्तियों को लम्बे समय तक संरक्षित करने का सुझाव भी दिया गया। कार्यशाला की संयोजिका डाॅ0 सरिता द्विवेदी ने बताया कि राष्ट्रीय तैल चित्रण कार्यशाला अपने मूर्त रूप की ओर अग्रसर है। शीघ्र ही लोगो के समक्ष प्रदर्शन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। कार्यशाला की निदेशक रीमा सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला में यथार्थवादी तैल चित्र का निर्माण विभागीय छात्र-छात्राओं द्वारा किया जा रहा हैं जिसमे एम0ए0 ड्रांइग एण्ड पेंटिग के छात्र-छात्राओं द्वारा बहुत ही आकर्षक एवं रचनात्मक ढंग से चित्रों को कैनवास पर उकेरा है। इसमें 120 छात्र-छात्राओं ने विभिन्न भारतीय प्रांत की कलाकृतियों का निर्माण किया है।कार्यशाला में प्रो0 मृदुला मिश्रा, प्रो0 आशुतोष सिन्हा, डाॅ0 अलका श्रीवास्तव, आशीष प्रजापति, श्रीमती कविता पाठक, छात्रों में वीरेन्द्र, बृजेश, मोनिका, अंशिका, वैभव, विमन, प्रीती, उमा, विनोद, वैष्णवी, कविता, हर्ष, सोनू सहित गैरशैक्षणिक कर्मचारी विजय कुमार शुक्ला, कुशाग्र पाण्डेय, शिव शंकर यादव मौजूद रहे।
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