आज हमारे देश का हर व्यक्ति राष्ट्रवादी बनना चाहता है और राष्ट्र की बात करता हुआ दिखाई पड़ता है। राष्ट्रवाद को संगोष्ठियों एवं सम्मेलनों का विषय बनाया जा रहा है। सत्तापक्ष के द्वारा राष्ट्रवाद का मुद्दा हमेशा प्रमुखता से उठाया जाता रहा है जिससे ओत-प्रोत हमारे देश का युवा राष्ट्रवादी होने पर गर्व करता है। प्राचीन धर्म ग्रन्थों में राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता से जुड़े अनेक प्रांसगिक विवरण विद्यमान है, जिसमें अर्थवेद के पृथ्वी सूक्त में मातृ वंदना का वर्णन, महाभारत के शान्ति पर्व में कई बार राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता से जुड़े अनेक प्रंसग विद्यमान हैं, रामायण में राम के द्वारा लक्ष्मण को सम्बोधित करके कहा गया वक्तव्य ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ राष्ट्र से जुड़ा रोचक प्रसंग है, परन्तु स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता पर क्या दृष्टिकोण है, उक्त विषय वर्तमान समय का महत्वपूर्ण बिन्दु है। आज से 136 वर्ष पूर्व 28 दिसम्बर 1885 को गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय, बम्बई में 72 सदस्यों ने राष्ट्रीयता से सिंचित विचाराधारा से अभिभूत होकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की थी। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि स्वतंत्रता की असली लड़ाई कांग्रेसियों द्वारा ही लड़ी जायेगी। अपनी स्थापना के बाद से ही कांग्रेस पार्टी का लक्ष्य राष्ट्र सेवा का रहा, कांग्रेस के नजरिये में राष्ट्र, “जल, जमीन, जंगल, प्राकृतिक संसाधनों की उपस्थिति के बीच रह रहे समस्त भारतीय जनमानस से मिलकर बना है।” कांग्रेस के राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता को कांग्रेस के 2019 के चुनावी घोषणा पत्र से समझ सकते हैं जिसके अनुसार राष्ट्र प्रत्येक भारतीय का है, हर नागरिक एक समान इज्जत एवं मान–सम्मान का अधिकारी है। आज नफरत से भरी राजनीति ने आपसी भाईचारे वाले इस देश को उत्पीड़क धरती के रूप में बदल दिया है जहाँ हाशिये पर पड़े लोगों को, कमजोरों को दुश्मन की तरह पेश किया जा रहा है।
दरअसल राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता पर कांग्रेस का नजरिया उसके पूर्व के महान नेताओं के विचारों से स्पष्ट होता है जो कि हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे एवं भारत की एकजुटता एवं अखंडता के निर्माण के लिए देश आज भी उनका ऋणी है। राष्ट्रीयता पर पंडित जवाहरलाल नेहरू का कथन वर्तमान समय में कांग्रेस पर सटीक बैठता है कि देश की सच्ची सेवा करना ही भारतीय नागरिक होना है। नेहरू का विचार था कि राष्ट्रीयता एक परम्परागत शक्ति है जिसे प्रत्येक देशवाशी स्वेच्छा से स्वीकार करता है, लोगों को यह नहीं लगना चाहिए की राष्ट्रीयता की भावना उन पर लादी जा रही है क्योंकि राष्ट्रीयता वह गम्भीर और शक्तिशाली भाव है जो लोगों को आपस में जोड़ती है। इसी प्रकार भारत के महान सपूत एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कथन से कांग्रेस के राष्ट्रीयता के भाव को स्पष्ट कर सकते है कि यदि मैं एक तानाशाह होता तो धर्म एवं राष्ट्र अलग-अलग होते, मैं धर्म के लिए जान तक दे दूँगा लेकिन यह मेरा निजी मामला है, राष्ट्र का इससे कुछ लेना देना नहीं है, राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष कल्याणकारी योजनाओं, स्वास्थ्य, संचार, विदेशी सम्बन्धों, मुद्रा इत्यादि का ध्यान रखेगा लेकिन मेरे या आपके धर्म का नहीं और यह सबका निजी मामला है।
कांग्रेस की राष्ट्रीयता भारतीय लोकतंत्र का आधार है जिसका मूल लक्ष्य यही रहा है कि भारत हमेशा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में राष्ट्रों के समूह के बीच उज्जवल रहे। कांग्रेस की राष्ट्रीयता इस तथ्य में निहित है कि देश को एकता के सूत्र में पिरोकर रखा जाये, कांग्रेस ने हमेशा धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद की विचारधारा को अपनी विचारधारा का हिस्सा माना, इंदिरा जी का मानना था कि देश का मजबूत होना जरूरी है, चुनाव में जीत-हार महत्वपूर्ण नही है, इसी विचार को आत्मसात करते हुए कांग्रेस पार्टी हमेशा से जाति की राजनीति करने वालों, सांप्रदायिक नारेबाजी व धार्मिक भावनाओं को भड़काने वालों के विरुद्ध रही है और उसके द्वारा हमेशा से इसका पुरजोर तरीके से विरोध किया जाता रहा है।
कांग्रेस के 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में स्पष्ट रूप से यहाँ तक उल्लेखित है कि असहमति किसी भी संपन्न लोकतांत्रिक राष्ट्र का अन्तर्निहित पहलू है। जाति, पंथ, लिंग के आधार पर किसी भी आवाज के खिलाफ भेद-भाव नही किया जाना चाहिए तभी एक सशक्त राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता की भावना का विकास संभव होगा, कांग्रेस का आज का नेतृत्व इसी विचारधारा से ओत-प्रोत होकर जनमानस के विचारों को एक राष्ट्र का विचार बनाने को कृत संकल्प है। कांग्रेस हमेशा से शोषित वर्ग की आवाज बनने का प्रयास करती रही है, इसी क्रम में उसने प्रवासी कामगार राष्ट्र सेवकों के हितों में आवाज उठाई, हातरस कांड के विरोध में कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता राहुल एवं प्रियंका गाँधी के नेतृत्व में सड़कों पर उतरा। आज वर्तमान में कांग्रेस पार्टी किसान आंदोलन का हिस्सा बनकर किसानों के लोकतंत्र के प्रति विश्वास को मजबूत बनाये रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन कर रही है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीयता का भाव राष्ट्रवादी एवं राष्ट्रभक्त होने के बीच की एक पतली सी रेखा मात्र है जो राष्ट्रवादियों को राष्ट्रभक्त बनने से अलग करती है। कांग्रेसियों के लिए भारतीय राष्ट्र होना जरूरी है जो कि उन्हें राष्ट्रभक्त बनाती है। राष्ट्रवादी होने के लिए राष्ट्रभक्त होना जरूरी है जो कि राष्ट्रीयता की भावना में निहित है। कांग्रेस पार्टी की विचारधारा ने कभी भी राष्ट्रवाद का समर्थन नही किया क्योंकि राष्ट्रीय भावना से रहित राष्ट्रवाद एक क्रूर, हिंसक, उत्पीड़क भावना का सृजन करने वाला, व्यक्तिवादी विचारधारा का पोषण करता है। कांग्रेस ने हमेशा इन्ही व्यक्तिवादी विचारधारा से राष्ट्र को बचाने के लिए निवेश को अपनाया और केंद्रीकृत राष्ट्रीय इकाइयों का सृजन किया, कांग्रेस ने अपने 47 वर्षों के शासन काल में अलग-अलग क्षेत्रों में राष्ट्रीय कृत इकाइयों का सृजन किया जबकि आज इसके इतर विनिवेश और निजीकरण को राष्ट्रवाद एवं राष्ट्र विकास के नाम पर प्राथमिकता दी जा रही है जिससे देश का लगभग प्रत्येक नागरिक छला जा रहा है। राष्ट्रवाद के इसी उग्र स्वरूप से राष्ट्र को बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सर कार्यवाहक डॉ मनमोहन वैद्य ने भी राष्ट्रवाद के इतर राष्ट्र, राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीयता पर जोर दिया।
असल में कांग्रेस के राष्ट्रीयता का मूल उद्देश्य देश को अक्षुण रखना है और यही कांग्रेस की राष्ट्रीयता का भाव उसे धर्म, जाति, अगड़ी-पिछड़ी, अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक, जीत-हार, निजी स्वार्थ और मजहब के नाम पर देश को बाँटने वाली ताकतों के विरूद्ध खड़ा कर देता है, क्योंकि राष्ट्र के जिन मालियों के द्वारा स्वतंत्र राष्ट्र का निर्माण हुआ वह देश की अखंडता और एकता का मूल्य समझते थे और इन मूल्यों को कांग्रेस क्षणिक जीत-हार की राजनीति के लिए दांव पर नहीं लगा सकती है। राष्ट्र निर्माण में कांग्रेस का योगदान सराहनीय रहा है, कांग्रेस द्वारा भारतीय राष्ट्र में जिन स्वस्थ परम्पराओं की नींव डाली गई वे आज भी भारतीय राष्ट्र को उग्र राष्ट्रवाद से बचाने में प्रेरक साबित हुए है।