सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है जिसमें लाकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दयनीय स्थिति का जिक्र करते हुए मुंबई में फंसे प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाए जाने की मांग की गई है।मुंबई में रहने वाले उत्तर प्रदेश के मूल निवासी वकील सगीर अहमद खान ने जनहित याचिका दाखिल कर विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश के बस्ती और संत कबीर नगर जिले में रहने वाले प्रवासी मजदूरों को मुंबई से सुरक्षित उनके घर पहुंचाने की गुहार लगाई है।
मजदूरों की दिक्कतों के प्रति सहृदयता और अपना अच्छा इरादा जाहिर करते हुए खान ने उत्तर प्रदेश के बस्ती और संत कबीर नगर के रहने वाले प्रवासी मजदूरों के यात्रा किराए के रूप में 25 लाख रुपये देने की भी पेशकश की है।
खान ने याचिका में कहा है कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान मुंबई में परेशान होते प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने के लिए सरकार से संपर्क करने की कोशिश की थी। उत्तर प्रदेश में संबंधित नोडल अधिकारी से इस सिलसिले में कई बार फोन पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन फोन हमेशा व्यस्त था और ईमेल का उन्हें जवाब नहीं मिला। इसलिए उन्हें कोर्ट में याचिका दाखिल करनी पड़ी।
याचिका में केन्द्र सरकार के अलावा महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सरकार को प्रतिपक्षी बनाया गया है। खान ने कहा है कि वह भी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर के रहने वाले हैं और 1999 में एलएलबी पूरा करने के बाद जीवनयापन के लिए मुंबई आ गए थे और तब से वहीं रह रहे हैं।
अब वे मुंबई में बस गए हैं लेकिन प्रवासियों की दिक्कत बखूबी समझते हैं। मुंबई में लॉकडाउन के कारण उद्योग धंधों के बंद होने के बाद प्रवासी मजदूरों की बुरी स्थिति है उनके जीवनयापन का कोई साधन नहीं है और वे मजबूर हो कर अपने गृह नगर वापस लौट रहे हैं। कुछ पैदल चल रहे हैं कुछ ट्रकों में 100 और 120 की संख्या में भरे घुट कर चल रहे हैं।
याचिका दाखिल करने में उसका कोई निजी लाभ नहीं है लेकिन प्रवासी मजदूरों की दयनीय दशा को देखते हुए उसकी अंतरात्मा उन्हें इस हाल में छोड़ने की इजाजत नहीं देती और इसलिए वह बस्ती और संत कबीर नगर के प्रवासियों को उनके घर भेजने का यात्रा खर्च 25 लाख रुपये देने की पेशकश करते हैं। अपनी सद् इच्छा साबित करने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में यह रकम जमा कराने को तैयार है।