क्या डीएम साहब की नाक के नीचे चल रहा है ये ‘सरकारी लूट का सिंडिकेट’?
बाराबंकी। केंद्र की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना उत्तर प्रदेश में एक सरकारी लूट का सिंडिकेट बन चुकी है, जिसके निशाने पर सीधे-सादे गरीब मजदूर हैं। बाराबंकी के सिद्धौर ब्लॉक की ग्राम पंचायत संगौरा सैदखानपुर से सामने आया ताजा ‘जीरो वर्क घोटाला’ इस बात का प्रमाण है कि जिला स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह महाभ्रष्टाचार संभव नहीं है। मामले की जड़ कागज़ों पर तीन चकमार्ग की पटाई का काम ‘सुपर एक्सप्रेस ट्रेन’ की गति से दौड़ रहा है, जहां एक हफ़्ते से ज़मीन पर एक भी फावड़ा नहीं चला, लेकिन मास्टर रोल में 90 में से 89 मजदूरों की हाजिरी लगाकर हजारों का खेल किया जा रहा है। ये ‘जीरो वर्क मास्टर रोल’ सिर्फ कागज़ी घोड़े नहीं हैं, बल्कि सीधे-सीधे सरकारी खजाने पर मारा गया डाका हैं।
सूत्रों का दावा है कि जिला डीसी मनरेगा से लेकर बीडीओ (पूजा सिंह), टी.ए., और रोजगार सेवक तक, सबको ‘ऊपर से नीचे तक’ एक फिक्स ‘परसेंटेज’ कमीशन जाता है। क्या यह कमीशन ही अधिकारियों के मुंह पर ताला लगाने का काम कर रहा है? मास्टर रोल में ‘भूत’: एक ही मजदूर की तस्वीर बार-बार अपलोड करके भुगतान निकाला जा रहा है। क्या डीसी मनरेगा साहब को इन कागजी ‘भूत मजदूरों’ की तस्वीरें नहीं दिखतीं, या वे जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं? नतमस्तक प्रशासन ग्राम प्रधान की ‘ऊंची राजनीतिक पकड़’ के डर से अधिकारी कार्रवाई से पीछे हट रहे हैं।
क्या सरकारी कुर्सी पर बैठे अधिकारी एक ग्राम प्रधान के सामने इतने असहाय हो सकते हैं? यह न केवल भ्रष्टाचारियों की शह है, बल्कि सरकारी तंत्र की शर्मनाक पराजय है। विपक्ष की सीधी मांग: यह केवल धांधली नहीं, बल्कि राष्ट्रद्रोह है। इस सिंडिकेट में शामिल सभी जिम्मेदार अधिकारियों (डीसी मनरेगा, बीडीओ, टी.ए., रोजगार सेवक) को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए। इस मामले की उच्च-स्तरीय एसआईटी जांच हो और दोषियों को गरीबों का पैसा लूटने के लिए जेल भेजा जाए! यह केवल एक ब्लॉक की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश के मनरेगा की स्थिति का आईना है, जिसकी अब जड़ से सफाई जरूरी है!





