ललितपुर। विश्व जल दिवस पर राष्ट्रीय सेवा योजना चतुर्थ इकाई के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, मानव ऑर्गेनाइजेशन के संयुक्त तत्वाधान में छात्र छात्राओं ने वॉक विथ सुम्मेरा कार्यक्रम के अंतर्गत सुम्मेरा तालाब के वॉकिंग परिसर में तालाब के जल को प्रदूषित कर रही गंदगी को साफ किया। वॉकिंग एरिया में चहलकदमी करते हुए छात्र छात्राओं ने सिगरेट और शराब के खाली पाउच चोरों ओर फैले हुए देखें जो अव्यवस्था को दर्शा रहे थे।
विभाग प्रमुख डा.दीपक कुमार पाठक ने कहा कि दुनिया जहां 70 फीसदी जल से घिरी है वहीं, पीने योग्य ताजा पानी महज तीन फीसदी ही है। वहीं जनसंख्या बृद्धि, बढ़ता शहरीकरण और विकास के लिए तेजी से बढ़ रही फैक्ट्रियों के कारण जल के स्त्रोत प्रभावित हो रहे हैं। व्यक्तिगत तौर पर भी लोग पानी की बर्बादी कर रहे हैं। इससे स्वच्छ जल की मांग बढ़ रही है और पूर्ति बाधित हो रही है। जल प्रदूषण रोकने, जल के महत्व को समझाने और जल संरक्षण के उद्देश्य से हर साल वैश्विक स्तर पर जल दिवस मनाया जाता है। इस दौरान पानी को बर्बाद होने से बचाकर कई समस्याओं का समाधान तलाशा जाता है।
पर्यावरणविद् पुष्पेन्द्र सिंह चौहान एड. ने कहा कि जल संरक्षण की शुरुआत घर से करें। उन्हें पानी की जरूरत के बारे में बताते हुए बचाने के तरीकों को समझाएं। आस पड़ोस के लोगों, दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबियों को भी जल संरक्षण का महत्व और तरीका बताएं।जल जीवन का मूल आधार है। इसके बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। विश्व जल दिवस प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और जल संसाधनों के सतत उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
यह दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1993 में शुरू किया गया था ताकि पानी के महत्व को समझाया जा सके और वैश्विक जल संकट पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। हम सबको अपने आस पास के जल संसाधनों के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभाग मंत्री हरिओम जी ने बताया कि विश्व जल दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य जल की महत्ता को समझाना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना है।
विश्व जल दिवस केवल एक दिन का आयोजन नहीं है, बल्कि यह जल संरक्षण और सतत विकास के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाता है। जल सीमित संसाधन है और हमें इसे संरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। हर बूंद महत्वपूर्ण है, इसलिए हमें जल के महत्व को समझकर इसे बचाने की पहल करनी चाहिए। पर्यावरणविद् डा.राजीव निरंजन ने छात्र छात्राओं से संवाद करते हुए कहा कि बच्चों के खुश और स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ जल और उचित स्वच्छता आवश्यक है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2.2 बिलियन लोग सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल के बिना रह रहे हैं।
लाखों बच्चे, अक्सर लड़कियाँ, पानी की तलाश में हर दिन औसतन छह किलोमीटर चलने को मजबूर हैं। पानी जो सुरक्षित या साफ भी नहीं है। इस दौरान जिला संगठन मंत्री आकाश, प्रांत कार्यकारिणी सदस्य अन्नू राजा, नगर सह मंत्री गोपाल शर्मा, अनमोल पाठक, एड.आशीष साहू, छात्र-छात्राओं में रिंकी राजपूत, पिंकी कुशवाहा, लक्ष्मी चौबे, निहारिका रजक, मुस्कान कुशवाहा, रुचि पटेल, कुमकुम कुशवाहा, स्तुति तिवारी, अंजलि सोनी, रिया कुशवाहा, पलक, शुभाली, संजना सेन, जानवी साहू, अक्षा खान, काव्या बबेले, दीपक साहू, ललित झा, शिवांग श्रीवास आदि मौजूद रहे।