अवधनामा संवाददाता
पर्यावरण दिवस व कबीरदास जयन्ती पर कवि सम्मेलन व मुशायरा संपन्न
ललितपुर। विश्व पर्यावरण दिवस एवं संत कबीरदास जयंती के मौके पर कौमी एकता की प्रतीक साहित्यिक संस्था हिंदी उर्दू अदबी संगम के तत्वाधान में साहित्य सदन कवि रामप्रकाश शर्मा के निवास स्थान पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का कार्यक्रम बहुत ही हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता हास्य कवि काका ललितपुर ने की जबकि संचालन अध्यक्ष रामकृष्ण कुशवाहा एड. ने किया। देर रात तक चले इस कार्यक्रम में शायरों एवं कवियों ने पर्यावरण को बचाने के लिये के वृक्ष लगाने के लिए देश एवं दुनिया से कविताओं के माध्यम से अपील की है। कबीरदास किसी मजहब जाती पाती संप्रदाय का नाम नहीं यह मानव सार्वभौमिक सत्य विचार है। रामकृष्ण कुशवाहा एड. ने देश दुनिया को पैगाम देते हुए कहा कि वृक्षों को मत काटो एक दिन धरती बंजर हो जाएगी यह नहीं होने से सोचो ताजी हवा कहां से आएगी। पर्यावरण को बचाने को वृक्ष लगाना जरूरी है ऑक्सीजन नहीं मिलेगी तो इंसान की जिंदगी खत्म हो जाएगी। रामस्वरूप नामदेव अनुरागी ने गीत पेश करते हुए कहा पौधा लाए हैं हम रोपण के लिए उसमें पानी तो देने दो कोईउसे टुडे कोई बात नहीं उसमें फाल तो आने दो। राधेश्याम ताम्रकार ने गजल पेश करते हुए कहा कि मुमकिन है जिंदगी की यदि बो बाजी न हारती बात इन की मना कर जो खुद को सभारते। ऊर्द के शिक्षक सरवर हिंदुस्तानी ने खूबसूरत शेर पढ़ते हुए कहा जहां में जब कभी मौसम बदलते जाएंगे देखना गुलशन में फिर कितने परिंदे आएंगे। एम.एल.भटनागर मामा ने खूबसूरत गीत पढ़ते हुए समा बांध दिया। उन्होंने कुछ इस तरह कहा कि जिंदगी के ऊपर की जिंदगी का सच है इसे तुम स्वीकार करो प्रदूषण को दूर भगाओ प्रकृति से तुम प्यार करो। कार्यक्रम में मात्र एक महिला शक्ति सुमनलता शर्मा चांदनी ने खूबसूरत रचना पेश करते हुए कहा जंगल में मने मंगल खुशहाल हो जग सारा धरती को हरा हरा यही है। संकल्प हमारा यही है संकल्प हमारा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ हास्य कवि काका ललितपुरी ने कहा वातावरण प्रदूषित हुआ देशों में टकराव वातावरण प्रदूषण हवा में अब तो पेड़ लगाओ। कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं में बृजेश श्रीवास्तव, मोहिनी तनवीर, तराना, मिथिला देवी, त्रिवेणी देवी, मधुर, राजाराम खटीक एड., मनीष कुशवाहा, गणेशराम रजक, पप्पू सहित अनेक लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी कवियों एवं शायरों श्रोताओं का आभार रामकृष्ण कुशवाहा ने व्यक्त किया।