अवधनामा संवाददाता
भारत के मूल विचार को समझे मातृ शक्ति : शशि
सिद्धार्थनगर। मातृ शक्ति पारिवारिक मूल्यों को दृढ़ता प्रदान करती है। भारत की सांस्कृतिक समृद्धता का आधार भारत की पारिवारिक जीवन शैली है।
उक्त बातें सिद्धार्थ विश्वविद्यालय की संस्कृत विभाग की प्रभारी विभागाध्यक्ष श्रीमती आभा दिवेद्वी ने कही। वह राष्ट्र सेविका समिति सिद्धार्थनगर विभाग द्वारा रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज तेतरी बाजार के प्रांगण में आयोजित मातृशक्ति सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि *भारत क्या है? हम कौन हैं?* विषय पर संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा मातृशक्ति को पश्चातय संस्कृति का अंधानुकरण न करते हुए भारत की परंपराओं को सहेज कर आने वाली पीढ़ी को देने में सक्रिय भूमिका होना चाहिए।
राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख के सीता अक्का जी ने कहा भारतीय नारी प्रारंभ से ही सामाजिक कार्यों में आगे रही हैं।
कार्यक्रम की प्रस्ताविकी राष्ट्र सेविका समिति की प्रांत संपर्क प्रमुख व बालिका परिसर की प्रधानाचार्या श्रीमती अंजू चौहान ने रखी। पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की क्षेत्र प्रचारिका शशी ने कहा मातृशक्ति भारत के वर्तमान व भविष्य को बनाने वाला है हमारा भारत क्या है? हम कौन हैं? भारत ज्ञान, कला व तेज से प्रकाशमान है। भारत के किसी भी कार्य में मातृशक्ति कभी पीछे नहीं रही है। भारत के विकास में महिलाओं का योगदान अग्रणी रहा है।
इस अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय पर्वतारोही रजनी शाहू, ममता त्रिपाठी, रश्मि त्रिपाठी, डॉ सीमा मिश्रा, शशि कला त्रिपाठी, प्रीति श्रीवास्तव अनुराधा पांडेय, सविता चौधरी समेत हजारों मात्र शक्तियों की उपस्थिति रही।