अवधनामा ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की शबनम देश की वह पहली महिला है जिसे आज़ादी के बाद फांसी पर चढ़ाया जाएगा. शबनम फांसी चढ़ेगी क्योंकि उसने प्यार और रिश्तों दोनों को शर्मिंदा कर दिया. वह फांसी चढ़ेगी क्योंकि उसने भरोसे का मतलब ही खत्म कर दिया.
अमरोहा के हसनपुर इलाके के बावनखेड़ी गाँव की शबनम शिक्षक शौकत अली की बेटी है. यह साल 2008 की बात है. शबनम एमए पास कर शिक्षा मित्र बन गई. घर वाले उसके लिए रिश्ता ढूँढने लगे लेकिन उसकी नजरें गाँव के ही आठवीं पास सलीम से टकरा गईं. घर वालों ने सलीम के साथ उसकी शादी करने से इनकार कर दिया. इसी बीच वह सलीम से प्रेगनेंट हो गई.

शबनम ने सलीम से बात की और अपना रिश्ता जोड़ने के लिए अपने घर वालों को रास्ते से हटाने का फैसला किया. उसने खाने में बेहोशी की दवा मिला दी. खाना खाने के बाद शबनम के वालिद शौकत अली, माँ हाशमी, भाई राशिद और अनीस, भाभी अंजुम और दस महीने का भतीजा अर्श सो गए तो उसने सलीम को बुलाकर सभी को कुल्हाड़ी से काट दिया.
घर के छह लोगों को मौत की नींद सुलाने के बाद शबनम ने शोर मचाकर पूरे गाँव को जमा कर लिया. पुलिस आई तो उसने बताया कि वह बाथरूम में थी तभी घर में लुटेरे घुस आये. उन्होंने लूटपाट का विरोध करने पर उसके घर वालों को मार डाला.
इस हत्याकांड के बाद पुलिस का सुकून खो गया. लखनऊ से सरकार का दबाव अमरोहा पुलिस पर बढ़ गया लेकिन इस हत्याकांड का कोई सूत्र हाथ नहीं लगा. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि मरने वालों ने कोई संघर्ष नहीं किया था. सभी के पेट में नशीला पदार्थ मिला. इसके बाद पुलिस ने शबनम की काल डीटेल खंगाली तो घटना वाले दिन उसकी सलीम से कई बार बात हुई थी. दोनों को पकड़कर सख्ती की गई तो सारी कहानी साफ़ हो गई.
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15 अप्रैल 2008 को घटी इस घटना के पीछे एक 25 साल की लड़की का हाथ था यह जानकर पुलिस भी ठगी सी रह गई. माँ-बाप, भाई-भाभी और भतीजे को मौत की नींद सुलाने वाली शबनम को अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई है. आज़ादी के बाद फांसी चढ़ने वाली शबनम पहली महिला होगी. शबनम की रिव्यू पेटीशन खारिज हो गई है. ससे पहले रामश्री नाम की महिला को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी लेकिन दया याचिका के आधार पर लखनऊ के नारी बंदी निकेतन में सज़ा काट रही रामश्री रिहा हो गई थी.





