इन्टरनेट बंद करने पर हाईकोर्ट ने किया हरियाणा सरकार का जवाब तलब

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अवधनामा ब्यूरो

नई दिल्ली. किसान आन्दोलन के मद्देनज़र हरियाणा में इंटरनेट पर लगाई गई बंदिश का मामला अब हाईकोर्ट पहुँच गया है. इंटरनेट बंद होने की वजह से कोर्ट में होने वाली ऑनलाइन सुनवाई भी बंद हो गई है. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि किन आधारों पर इंटरनेट पर रोक लगाई गई है.

सरकार अगर इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाती है तो इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस पहले से है. इस गाइडलाइन में स्पष्ट कहा गया है कि ज्यादा दिनों तक इंटरनेट बंद किये जाने पर रोक लगाए जाने के सात दिन बाद एक कमेटी बनाकर हालात पर रिव्यू करना होता है. इंटरनेट पर सरकार उसी हालात में रोक लगा सकती है जबकि इसकी वजह से कोई बड़ा नुक्सान होने की आशंका हो या फिर इसकी वजह से अफवाहें फैलने का खतरा हो.

हरियाणा सरकार का कहना है कि जिस तरह से 26 जनवरी को दिल्ली में हुई ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा हुई थी ठीक उसी तरह से छह फरवरी को किसानों ने चक्का जाम का आह्वान किया हुआ है. इंटरनेट चालू रहने की वजह से क़ानून व्यवस्था बिगड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता.

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सरकार का कहना है कि किसानों के चक्का जाम को क्योंकि विपक्षी दलों का समर्थन भी हासिल है इसलिए सरकार ने एक तरफ तो क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस अधिकारियों को स्थानीय किसान नेताओं के सम्पर्क में रहने को कहा है तो दूसरी तरफ इंटरनेट बंद कर अफवाहें रोकने का भी पुख्ता इंतजाम किया है.

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