अवधनामा ब्यूरो
नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ का पाठ्य पुस्तक निगम घोटाले के इल्जाम से घिर गया है. यह इल्जाम किसी और ने नहीं इसी निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने लगाया है. उन्होंने जांच के आदेश भी दे दिये हैं. घोटाला 72 करोड़ का बताया जा रहा है.
पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने बताया कि निगम के महाप्रबंधक रहे अशोक चतुर्वेदी ने नियमों को ताक पर रखकर 72 करोड़ रुपये का भुगतान बगैर चेक के कर दिया है. उन्होंने बताया कि चार अक्टूबर से 25 अक्टूबर 2019 के बीच हुए इस भुगतान में नियमों को दरकिनार कर दिया गया.
निगम के अध्यक्ष ने बताया कि इस मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं. इसके अलावा प्रिंटर्स को बगैर काम कराये आठ करोड़ 20 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया है. इस मामले में ज़िम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जायेगी.
शैलेष नितिन त्रिवेदी ने बताया कि जांच में पता चला है कि ब्लैक लिस्टेड कम्पनी को भी बगैर काम के भुगतान किया गया है. उन्होंने बताया कि नियमानुसार चेक वरिष्ठ प्रबंधक वित्त के हस्ताक्षर से जारी किये जाने चाहिए लेकिन सभी चेक महाप्रबंधक के हस्ताक्षर से जारी किये गए.
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जांच में कई हैरतंगेज़ जानकारियाँ सामने आयी हैं. निगम ने पहले तो मेसर्स रामराजा प्रिंटर्स एवं पब्लिशर्स रावांभाठा रायपुर को आठ करोड़ 20 लाख चार हज़ार 401 रुपये का भुगतान कर दिया. यह बात आडिट में पकड़ में आ गई तो निगम ने प्रकाशक को चिट्ठी लिखकर पूछा कि आपको जो भुगतान किया गया है वह किस मद में है. निगम के अध्यक्ष ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.